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सितारवादक पंडित रवि शंकर पश्चिम में भी लोकप्रिय : संजय भसीन


गुडग़ांव। देश की सभ्यता व संस्कृति को संगीत के माध्यम से आमजन तक कलाकारों द्वारा पहुंचाया जाता रहा है। भारतीय शास्त्रीय संगीत देश ही नहीं, अपितु विश्व में भी बड़ा प्रसिद्ध है। इस संगीत के कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का विश्व में भी प्रदर्शन कर देश का नाम रोशन किया है। इन्हीं में से पंडित रवि शंकर भी हुए हैं। जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में सितार वादक के रुप में काफी ख्याति अर्जित की। वह इस सदी के महान् संगीतज्ञों में गिने जाते हैं। उनकी जयंती पर उन्हें याद करते हुए वरिष्ठ रंगकर्मी व हरियाणा कला परिषद के निदेशक संजय भसीन ने कहा कि वह इस सदी के सबसे महानस संगीतज्ञों में से एक थे। उन्हें विदेशों में बड़ी प्रसिद्धि प्राप्त हुई। रविशंकर के संगीत में एक प्रकार की आध्यात्मिक शान्ति प्राप्त होती है। उनका जन्म 7 अप्रैल 1920 को काशी में हुआ था। बाल्यकाल से ही उनका संगीत के प्रति लगाव हो गया था। तत्कालीन संगीतकार और गुरुउस्ताद अलाउद्दीन ख़ां से ही उन्होंने संगीत की शिक्षा ली और भारतीय शास्त्रीय संगीत को विदेशों तक पहुंचाया।

भसीन ने कहा कि पंडित रविशंकर को संगीत के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने पर विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा डाक्टरेट की उपाधियां मिली थी और उन्हें 3 ग्रेमी पुरुस्कार भी मिले। भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण तथा भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी उन्हें सम्मानित किया गया। उन्हें राज्यसभा का मानद सदस्य भी बनाया गया था। रवि शंकर देश के उन गिने चुने संगीतज्ञों में से एक थे, जो पश्चिम में भी लोकप्रिय रहे। उनका निधन 92 वर्ष की आयु में अमेरिका में बीमारी के चलते 11 दिसम्बर 2012 को हो गया था। भसीन ने संगीत के क्षेत्र में कार्यरत कलाकारों से आग्रह किया कि वे पंडित रवि शंकर के जीवन से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ें। उन्हें अवश्य सफलता मिलेगी।

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