गुडग़ांव। बिजली निगम क्षेत्र में बढ़ती बिजली चोरियों को रोकने के लिए समय-समय पर कार्यवाही करती रही है, ताकि लाइन लॉस को कम करने के लिए बिजली चोरी पकड़ी जा सके। बिजली निगम ने सर्कल 2 में बिजली चोरी पकडऩे का पूरे माह का लक्ष्य 2 करोड़ रुपए निर्धारित किया है। हालांकि बिजली निगम ने 3.23 करोड़ रुपए जुर्माना लगाकर बिजली चोरी के रुप में 2.86 करोड़ रुपए वसूल भी किए हैं। उधर बिजली चोरी के मामलों की उपभोक्ताओं की ओर से पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता क्षितिज मेहता का कहना है कि बिजली चोरी पकडऩे का लक्ष्य निर्धारित करना क्या उचित है? उनका कहना है कि बिजली चोरी के मामले पकडऩे के लिए लक्ष्य निर्धारित करना सरासर गलत व नाजायज है। यदि प्रतिमाह 2 करोड़ रुपए की बिजली चोरी के केस नहीं मिलेंगे तो लक्ष्य निर्धारित को पूरा करने के लिए झूठे व गलत बिजली चोरी के मामले भी बनाए जा सकते हैं।
क्षितिज मेहता का कहना है कि बिजली विभाग को चैकिंग को बढ़ाना चाहिए, न कि बिजली चोरी के केस बनाने का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। अधिवक्ता का कहना है कि विभाग द्वारा बहुत से बिजली चोरी के मामलों को अदालत द्वारा गलत करार दिया गया है और उपभोक्ता को ब्याज सहित जुर्माना राशि को वापिस भुगतान करने के आदेश भी अदालत द्वारा समय-समय पर दिए जाते रहे हैं। इस प्रकार से बिजली विभाग को राजस्व की भारी हानि होती है। अधिवक्ता का आग्रह है कि बिजली निगम इस प्रकार के बिजली चोरी के केस बनाने या पकडऩे के लक्ष्य निर्धारित करने की बजाय चैकिंग के लक्ष्य निर्धारित करे, तभी इस समस्या का समाधान हो सकता है और बिजली निगम के राजस्व में भी वृद्धि हो सकती है।
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