गुडग़ांव। विश्व में भारतीय संस्कृति को सबसे प्राचीन माना गया है। भारत में इस संस्कृति का विकास श्री रामचरितमानस और महाभारत दो महाकाव्यों के आधार पर विकसित हुआ है। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा अवधी भाषा में रचित श्रीरामचरितमानस भारतीय भाषाओं में लिखा गया सबसे प्रमुख महा-काव्य है। जिसमें भगवान श्रीराम का जीवन-चरित्र भारतीय अव-चेतना सर का मूल आधार है। श्री राम का चरित्र एक ऐसा सशक्त चरित्र है, जो असत्य पर सत्य की विजय की उपादेयता को प्रतिपादित करता है और भारतीय मूल्य-प्रणाली और समाज में आचरण के मानदंड को परिभाषित करता है।
श्री राम की कथा को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से मध्यकाल में संस्कृत के प्रकांड पंडित गोस्वामी तुलसीदास ने रामकथा को रामचरितमानस के रूप में उत्तर भारत में प्रचलित जनभाषा अवधी को चुना। अति कर्ण-प्रिय और अर्थवान होने पर भी महाकाव्य को मध्यकाल की जन-भाषा अवधी भाषा में इसकी रचना की। यह ग्रंथ आज भी प्रासंगिक है। श्रीराम चरित मानस के हिंदी काव्यानुवाद का विमोचन कल राजधानी के सीरी फोर्ट ऑडिटोरियम में श्रीमदजगद्गुरु शंकराचार्य ज्योतिषपीठाधीश्वर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती महाराज द्वारा किया जाएगा। उक्त जानकारी डा. धीरज भटनागर ने आयोजित प्रैसवार्ता में दी।
उन्होंने कहा कि भारतीय मूल्य-प्रणाली और समाज में आचरण के मानदंड की आवश्यकता है। श्री रामचरितमानस को घर-घर तक पहुंचाने के उददेश्य से उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास-कृत महाकाव्य का खड़ी बोली हिंदी में काव्यानुवाद किया है, जिसका विमोचन कल श्रीमदजगद्गुरु शंकराचार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह करेंगे। इस आयोजन में कई केंद्रीय मंत्री व साधु-संत एवं धार्मिक क्षेत्र के नामी-गिरामी गणमान्य व्यक्ति भी शामिल रहेंगे।
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