गुडग़ांव। बिजली चोरी के मामले की सुनवाई करते हुए सिविल जज हिमानी गिल की अदालत ने बिजली निगम द्वारा लगाए गए आरोपों को गलत करार देते हुए बिजली निगम को आदेश दिए हैं कि पीडि़त उपभोक्ता द्वारा जमा कराई गई 89 हजार 438 रुपए की धनराशि को 24 प्रतिशत ब्याज दर से उपभोक्ता को वापिस की जाए।
गुडग़ांव पुलिस लाइन के क्वार्टर में रहने वाली पीडि़त उपभोक्ता सुरेखा के अधिवक्ता क्षितिज मेहता से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2018 की एक अक्तूबर को बिजली निगम ने बिजली चोरी का आरोप लगाते हुए उस पर 89 हजार 438 का जुर्माना लगा दिया था। आरोप लगाया गया था कि उसका बिजली का मीटर जला हुआ था और वह डायरेक्ट रुप से बिजली की चोरी कर रही थी। कहीं बिजली का कनेक्शन न कट जाए, इस डर से उसने जुर्माना राशि का भुगतान कर दिया था। हालांकि पीडि़ता ने बिजली निगम के अधिकारियों से आग्रह किया था कि उसने बिजली की चोरी नहीं की है, लेकिन अधिकारियों ने उसकी एक न सुनी।
अधिवक्ता का कहना है कि वर्ष 2019 की 30 अप्रैल को पीडि़ता ने अदालत में केस दायर कर दिया था। मामले की अदालत में सुनवाई हुई। बिजली निगम ने अदालत में जो सबूत व गवाह पेश किए, उनसे आरोपी पर लगे बिजली चोरी के आरोप साबित न होना पाते हुए अदालत ने इस मामले को गलत करार देते हुए बिजली निगम को आदेश दिए हैं कि जमा कराई गई जुर्माना राशि का भुगतान 24 प्रतिशत ब्याज दर से उपभोक्ता को किया जाए। यदि निगम ऐसा नहीं करेगा तो उसके खिलाफ आगे कार्यवाही की जाएगी।
Comment here