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कृषि शिक्षा क्षेत्र का मार्ग प्रशस्तिकरण के करने होंगे प्रयास

कृषि उच्च शिक्षा के लिए ब्लेंडेड लर्निंग ईकोसिस्टम पर आयोजित 3 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ समापन
गुडग़ांव।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) व विश्व बैंक द्वारा कृषि उच्च शिक्षा के लिए ब्लेंडेड लर्निंग ईकोसिस्टम पर आयोजित 3 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का समापन हो गया। यह सम्मेलन राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (एनएएचईपी) की रेसिलिएंट एग्रिकल्चर एजुकेशन सिस्टम (आरएईएस) विकास पहल के तहत आयोजित किया गया था। समापन पर घोषणा पत्र भी जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि देश में सभी कृषि उच्च शिक्षा संस्थानों में डिजिटल ई लर्निंग कंटेंट एवं उभरती इमर्सिव टेक्नोलाजीज समेत डिजिटल आधारभूत ढांचे को मजबूत करने की जरूरत है।

व्यवस्थागत डिजिटल क्षमता, ज्ञान और कौशल में सुधार के लिए सभी भागीदारों में प्रणालीगत डिजिटल क्षमता निर्माण को संस्थागत रूप प्रदान करने की भी आवश्यकता है। कृषि में प्रभावी अध्यापन और सीखने के लिए डिजिटल संसाधनों और टूल्स को समाहित करने की जरूरत रेखांकित की गई। इसमें ऐसे लिंग-समावेशी एवं टिकाऊ शिक्षा के लिए एक नवीन एवं सहनशील प्रणाली की दिशा में जोर दिया गया जो भारत के कृषि शिक्षा क्षेत्र का मार्ग प्रशस्त कर सके। वक्ताओं ने कहा कि देश में राष्ट्रीय कृषि शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए वर्ष 2018 में एक पंचवर्षीय परियोजना एनएएचईपी शुरू की गई जिसमें 8.25 करोड़ डालर (करीब 600 करोड़ रुपये) का समान योगदान किया गया। एएसआरबी के चेयरमैन डा. आरबी सिंह ने कहा कि ज्ञान और कौशल के प्रसार के जरिए टिकाऊ विकास लक्ष्यों को प्रोत्साहित कर हम कल की चुनौतियों से निपटने के लिए कृषि नेतृत्वकर्ताओं की अगली पीढ़ी को सशक्त करते हैं।

डा. त्रिलोचन महापात्र ने कहा कि शिक्षा एक संपन्न कृषि क्षेत्र की रीढ़ है। डा. आरसी अग्रवाल का कहना है कि यह सम्मेलन सभी मायनों में सफल रहा है। महत्वपूर्ण विषयों पर खुलकर चर्चा भी हुई है।

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