नवरात्र और रमजान पड़ रहे हैं साथ-साथ, 23 या 24 से रमजान शुरु होने की है संभावना
गुडग़ांव। चैत्र मास के नवरात्रे आगामी 22 मार्च से शुरू हो रहे हैं। इस बार पूरे नौ नवरात्रे हैं जिसमें मां भगवती के विभिन्न स्वरूपों की श्रद्धालु पूरे विधि-विधान के अनुसार पूजा अर्चना करेंगे। यानि कि इस बार 22 मार्च से शुरू होकर 30 मार्च तक चैत्र मास के नवरात्रे चलेंगे। इस बार चैत्र नवरात्रों के साथ-साथ माह ए रमजान भी 23 या 24 मार्च से शुरू हो जाएगा। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि नवरात्र और रमजान हिंदू-मुस्लिम समुदाय के प्रमुख त्यौहार हैं जिसे दोनों समुदाय मिलजुल कर ही मनाते आ रहे हैं। नवरात्रे के पहले दिन कलश की स्थापना भी की जाती है। श्रद्धालु बालिकाओं को देवी का रूप मानकर उनका पूजन करते हैं। बडे स्तर पर लोग चैत्र मास के इन नवरात्रों को मनाएंगे। विभिन्न मंदिरों में तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं।
क्या है पौराणिक मान्यता ?
पौराणिक मान्यता है कि चैत्र नवरात्रि के पहले दिन सृष्टि का आरंभ हुआ था। इसी दिन देवी ने ब्रह्मा को सृष्टि की रचना करने का कार्यभार सौंपा था व इसी दिन काल गणना भी शुरू हुई थी। देवी भागवत पुराण के अनुसार इसी दिन देवी मां ने सभी देवी-देवताओं के कार्यों का बटवारा किया था। इसलिए चैत्र नवरात्र पर हिंदू नववर्ष का प्रारंभ माना जाता है। सृष्टि आरंभ से पूर्व अंधकार का साम्राज्य था। तब आदि शक्ति जगदम्बा अपने कुष्मांडा अवतार में विभिन्न वनस्पतियों और वस्तुओं को संरक्षित करते हुए सूर्य मंडल के मध्य में स्थापित हुई थी।
माता ने ही की थी ब्रह्मा, विष्णु व शिव की रचना
देवी पुराण के अनुसार जगत निर्माण के समय माता ने ही ब्रह्मा विष्णु और भगवान शिव की रचना की थी। इसलिए सृष्टि के आरंभ की तिथि से नौ दिन तक मां अंबे के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस दिन से ही पंचांग की गणना भी की जाती है। ऐसा माना जाता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम का जन्म भी चैत्र नवरात्र में ही हुआ था।
वर्ष में आते हैं चार नवरात्र
पंडितों का कहना है कि वर्ष के चैत्र, आषाढ़, अश्विन व माघ को मिलाकर कुल चार नवरात्र आते हैं, लेकिन चैत्र व अश्विन माह के नवरात्रों की अधिक मान्यता है क्योंकि बसंत ऋतु में होने के कारण चैत्र नवरात्र को बासंती नवरात्र भी कहा जाता है। इन नवरात्रों में श्रद्धालु अपनी श्रद्धा अनुसार व्रत रखकर अपनी मनोकामना पूरी कराते हैं।
मुस्लिम समुदाय का है कहना
सोहना चौक स्थित जामा मस्जिद के इमाम जान मोहम्मद का कहना है कि रमजान का महीना मुसलमानों के लिए पवित्र महिना है। इस दौरान सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले अन्न, जल ग्रहण नहीं किया जाता। रमजान में ही मुसलमानों के पवित्र. पैगंबर मोहम्मद के समक्ष इस्लाम के पवित्र किताब कुरान की पहली आयत का अनावरण हुआ था। इसी के बाद से इस महीने को पवित्र मानकर रोजा रखने की परम्परा शुरू हुई थी।
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