गुडग़ांव। देश की आजादी की लड़ाई में साहित्यकारों, कवियों, लेखकों का भी बड़ा योगदान रहा है। उनकी रचनाओं ने देशवासियों में देशप्रेम की भावना को लेकर क्रांति का माहौल बना दिया था। सोहनलाल द्विवेदी प्रसिद्ध कवि रहे हैं। उन्हें राष्ट्र कवि के रुप में भी प्रतिष्ठित किया गया। उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए साहित्यकार डा. घमंडीलाल अग्रवाल ने कहा कि उनका जन्म 22 फऱवरी, 1906 को फतेहपुर उत्तर प्रदेश के बिन्दकी नामक गांव में हुआ था। उन्होंने हिंदी व संस्कृत का गहन अध्ययन किया था। राष्ट्रीयता से संबंधित कई कविताओं की रचना भी की थी। इसीप्रकार महात्मा गांधी पर कई भाव पूर्ण रचना उन्होंने लिखी थी। गांधी जी के प्रति उनकी अटूट आस्था थी।
डा. अग्रवाल ने कहा कि राष्ट्र धर्म उनके काव्य का मूलमंत्र है। राष्ट्रप्रेम से प्रेरित अपने ओजस्वी गीतों द्वारा उन्हें जो लोकप्रियता मिली, उसी ने उन्हें राष्ट्रकवि के रुप में प्रतिष्ठित किया। वह अपने छात्र जीवन से ही राष्ट्र प्रेम से ओतप्रोत थे। गांधीवाद को अभिव्यक्ति देने के लिए युगावतार, गांधी, खादी गीत, गाँवों में किसान, दांडीयात्रा, त्रिपुरी कांग्रेस, बढ़ो अभय जय जय जय, राष्ट्रीय निशान आदि शीर्षक से लोकप्रिय रचनाओं का सृजन किया। भारत देश, ध्वज, राष्ट्र प्रेम और राष्ट्र नेताओं के विषय में उन्होंने कविताएं लिखी। केंद्र सरकार ने वर्ष 1971 में उन्हें पद्मश्री उपाधि से भी सम्मानित किया था। उनका निधन एक मार्च 1988 को हो गया था। डा. अग्रवाल ने साहित्य के क्षेत्र में प्रयासरत युवाओं से आग्रह किया है कि वे सोहनलाल द्विवेदी के आदर्शों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ें।
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