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मांगने से ही नहीं मिलती, अपितु कमानी पड़ती हैं दुआएं : बीके आशा


गुडग़ांव। दुआएं जीवन के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि हैं। जहां दुआएं हैं वहाँ हर कार्य सहज हो जाता है। दुआएं माँगने से नहीं मिलती। दुआएं कमानी पड़ती हैं। निस्वार्थ सेवा भावना दुआओं का पात्र बनाती है। दुआओं से बड़ी कोई कमाई नहीं है। दुनिया में दुआओं से बड़ी कोई ताकत नहीं है। उक्त उद्गार धार्मिक ब्रह्माकुमारीज के ओम शांति रिट्रीट सेंटर की निदेशिका बीके आशा ने सोमवार को चिकित्सकों के लिए कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। इस कार्यक्रम में 200 से भी अधिक चिकित्सक और उनके परिवार के सदस्यों ने भाग लिया। बीके चक्रधारी ने कहा कि शांति आत्मा का मूल स्वरूप है। आज हम दूसरों से शांति और प्रेम की अपेक्षा करते हैं। लेकिन फिर भी निराशा ही मिलती है। जिसका असली कारण स्वयं की पहचान न होना है। राजयोग आत्मा के मूल गुणों को जागृत करता है।

उन्होंने कहा कि चिकित्सक को अपने कार्य में स्नेह, दया और करुणा जैसे गुणों से संपन्न होना चाहिए। क्योंकि आधी बीमारी तो चिकित्सक के अच्छे व्यवहार से ही ठीक हो जाती है। डॉ. उषा किरण ने कहा कि योग के माध्यम से भी मरीजों को स्वस्थ रखा जा सकता है। डा. रुप सिंह ने कहा कि राजयोग के अभ्यास से सदा ही ईश्वरीय शक्तियों का अनुभव होता है। डा. ज्योति ने कहा कि राजयोग के अभ्यास से विपरीत परिस्थितियों में भी स्वस्थ रहा जा सकता है। कार्यक्रम को बीके लक्ष्मी, बीके सुनैना, बीके हुसैन आदि ने भी संबोधित करते हुए उपस्थितजनों के कई प्रश्रों के उत्तर भी दिए।

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