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विनायक दामोदर सावरकर 20वीं सदी के रहे हैं सबसे बड़े हिंदूवादी : सीताराम सिंघल


गुडग़ांव। भारत के महान क्रांतिकारी, समाजसुधारक व स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदार सावरकर ने छात्र जीवन से ही राजनैतिक गतिविधियां शुरु कर दी थी। वह हिंदू महासभा में एक विशेष स्थान रखते थे। सावरकर को 50 साल की दोहरे आजीवन कारावास की सजा के लिए सेल्यूलर जेल भेजा गया था, जहां उन्हें बेहद अमानवीय तरीकों से यातनाएं दी गई थी। भाजपा सरकार ने वर्ष 2016 में पोर्ट ब्लेयर की सेल्यूलर जेल में वीर सावरकर ज्योति का उद्घाटन भी किया था और भाजपा कार्यकर्ताओं ने सेल्यूलर जेल पहुंचकर वीर सावरकर की स्मृतियों को नमन किया था। उक्त उद्गार भाजपा किसान मोर्चा के कोषाध्यक्ष सीताराम सिंघल ने सावरकर की पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि उनका जन्म 18 मई 1883 को महाराष्ट्र के भागपुर में हुआ था। दुख और कठिनाई की इस घड़ी में गणेश के व्यक्तित्व का विनायक पर गहरा प्रभाव पड़ा। विनायक ने शिवाजी हाईस्कूल नासिक से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। आर्थिक संकट के बावजूद बाबाराव ने विनायक की उच्च शिक्षा की इच्छा का समर्थन किया।

उनहोंने कहा कि सावरकर क्रांतिकारी विचारधारा वाले थे और वह क्रांतिकारी तरीकों से ही भारत की स्वतंत्रता हासिल करना चाहते थे। उन्होंने कई पुस्तकों की संरचना भी की। उन्होंने परिवर्तित हिंदूओं के हिंदू धर्म को वापिस लौटाने हेतू बड़े प्रयास भी किए थे और इसके लिए आंदोलन भी चलाए थे। उन्होंने भारत की एक सामूहिक हिंदू पहचान बनाने के लिए हिंदुत्व के शब्द का इस्तेमाल किया था। उनके राजनैतिक दर्शन में उपयोगितावाद, तर्कवाद, प्रत्यक्षवाद, मानवतावाद, सार्वभौमिकता, व्यवहारिकता और यथार्थवाद के तत्व थे। सावरकर एक कट्टर तर्क बुद्धिवादी थे, जो सभी धर्मों के रुढिवादी विश्वासों का विरोध करते थे। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के लिए उन्होंने नवयुवकों में राष्ट्रीयता की भावना के साथ क्रांति की ज्वाला को भी बढ़ाया। उन्होंने कई संगठनों की स्थापना भी की थी। इंडिया हाउस जोकि राजनैतिक गतिविधियों का केंद्र हुआ करता था, उससे भी सावरकर का संबंध रहा।

सावरकर ने युवाओं को बम बनाना और गुरिल्ला पद्धति से युद्ध करने की कला सिखाई थी। उन्हें षडय़ंत्र कांड के तहत काला पानी की सजा देकर सेल्यूलर जेल भेजा गया था। वहां उन्हें अमानवीय सजा भी भुगतनी पड़ी थी। सावरकर 4 जुलाई 1911 से 21 मई 1921 तक सेल्यूलर जेल में रहे थे। सरदार वल्लभभाई पटेल व बाल गंगाधर तिलक के कहने पर ब्रिटिश कानून न तोडऩे व विद्रोह न करने की शर्त पर उनकी रिहाई हुई थी। उसके बाद उन्होंने भूमिगत रहकर स्वतंत्रता आंदोलन के लिए युवाओं को संगठित करने में अपनी पूरी ऊर्जा लगा दी थी। हिंदू राष्ट्रवाद के वह प्रबल समर्थक रहे। हिंदू राष्ट्र की राजनैतिक विचारधारा को विकसित करने का बहुत बड़ा श्रेय सावरकर को जाता है। उनकी इस विचारधारा को भाजपा सरकार ने पहचाना है और उसको महत्व देते हुए उनको वह सम्मान राष्ट्र में दिलाया जा रहा है, जिसके वह वास्तविक हकदार थे। उनका निधन 26 फरवरी 1966 को हो गया था।

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