गुडग़ांव। देश की सभ्यता व संस्कृति की सभी को जानकारी होनी चाहिए। देश सर्वप्रथम है। विभिन्न समुदायों में किसी प्रकार की वैमनस्यता नहीं होनी चाहिए। सभी को मिलजुलकर एक दूसरे के प्रति सहानुभूति रखते हुए रहना चाहिए। हिंदुत्व बड़ा ही गूढ़ शब्द है, जिसकी परिभाषा धर्म व राजनीति के विभिन्न अर्थों में की जाती है। बच्चों में सुसंस्कारों का समायोजन किया जाना चाहिए। माता-पिता ही बच्चे के प्रथम गुरु माने जाते हैं। उक्त उद्गार उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती 1008 ने हरियाणा परिक्रमा के तहत सैक्टर 5 स्थित जीएवी पब्लिक स्कूल परिसर में आयोजित कार्यक्रम में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि वह हरियाणा प्रदेश के सभी जिलों के भ्रमण पर निकलें हैं, ताकि धर्म, समाज व संस्कृति का प्रचार-प्रसार कर सकें। उन्होंने रोहतक के महम से हरियाणा परिक्रमा शुरु की है। वह प्रदेश के सभी जिलों में जाएंगे और उत्तर भारत के अन्य प्रदेशों में भी भ्रमण करेंगे और सभी जिलों में भगवान विष्णु के 24 अवतार की स्थापना भी करेंगे।
उन्होंने शासन तंत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि सभी को नियमों व कायदे कानूनों का पालन करना चाहिए। अन्यथा प्रशासन को सख्त कार्यवाही करने पर मजबूर होना पड़ता है। जो कर्म हमनें पिछले जन्मों में किए हैं, उसका फल हमें इसी जन्म में भोगना पड़ता है और वर्तमान में जो कार्य हम कर रहे हैं, उसका फल भविष्य में भुगतना होगा। कार्यक्रम में आए लोगों से उन्होंने आग्रह किया कि अच्छे कर्म करने चाहिए। वेद-शास्त्रों के अनुसार अपनी दिनचर्या बनानी चाहिए। गलत रास्ते पर चलने से थोड़े समय की उपलब्धि तो मिल सकती है, लेकिन यह उपलब्धि स्थायी नहीं होती। श्ंाकराचार्य ने अभिभावकों से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें। शिक्षकों से आग्रह किया कि लक्ष्य की प्राप्ति दिलाने वाली शिक्षा का ज्ञान बच्चों को दिया जाना चाहिए। समय का सदैव सम्मान करना चाहिए तथा इसका सदुपयोग भी करना चाहिए। बीता हुआ समय कभी वापिस नहीं आता। प्रात: रोशनी आती है तो अंधकार अपने आप खत्म हो जाता है, उसे हटाया नहीं जाता। इसलिए समय बड़ा बलवान है और इसका सदुपयोग ही किया जाना चाहिए।
स्कूल की प्रधानाचार्या शीतल शर्मा ने जगतगुरु शंकराचार्य के स्कूल में पधारने पर आभार भी प्रकट किया। इस आयोजन में राष्ट्रहित सेवा समिति के चेयरमैन गोविंद उपमन्यु बृजवासी महाराज का भी बड़ा सहयोग रहा। इस कार्यक्रम में स्कूल संचालक मंडल के अलावा स्कूल की शिक्षक, शिक्षिकाएं तथा क्षेत्र के गणमान्य व्यक्ति भी बड़ी संख्या में शामिल हुए और सभी ने शंकराचार्य के प्रवचनों का लाभ भी उठाया।
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