उपभोक्ता द्वारा जमा कराई गई जुर्माना राशि को बिजली निगम 6 प्रतिशत ब्याज दर से करे वापिस
गुडग़ांव। बिजली चोरी के मामले में बिजली निगम के खिलाफ दिए गए फैसले को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश तरुण सिंघल की अदालत ने बिजली निगम की दायर अपील को खारिज करते हुए निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए अदालत ने बिजली निगम को आदेश दिए हैं कि उपभोक्ता द्वारा जमा कराई गई जुर्माना राशि को 6 प्रतिशत ब्याज दर से वापिस किया जाए।
उपभोक्ता के अधिवक्ता क्षितिज मेहता से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के हेलीमंडी क्षेत्र के संदीप कुमार के बिजली के बिल में 47 हजार 830 रुपए की धनराशि वर्ष 2019 की 6 जुलाई को जुड़ कर आई थी कि वह बिजली की लाईन में कुण्डी लगाकर बिजली चोरी कर रहा था। उपभोक्ता ने अधिकारियों से आग्रह भी किया कि उसने बिजली की चोरी नहीं की है। लेकिन अधिकारियों ने उसकी एक नहीं सुनी। कहीं बिजली का कनेक्शन न कट जाए, इस भय से उसने जुर्माने की धनराशि जमा कर दी थी और बिजली निगम के खिलाफ अदालत में केस दायर कर दिया था। गत वर्ष 22 अगस्त को सिविल जज मानसी गौड़ की अदालत ने इस मामले में सुनवाई करते हुए उपभोक्ता को बिजली चोरी के आरोपों से मुक्त कर दिया था और बिजली निगम को आदेश दिए थे कि जमा कराई गई जुर्माना राशि का भुगतान 6 प्रतिशत ब्याज दर से उपभोक्ता को दिया जाए।
अधिवक्ता ने बताया कि बिजली निगम ने निचली अदालत के आदेश को जिला एवं सत्र न्यायालय में गत वर्ष 30 सितम्बर को चुनौती दे दी थी। अदालत ने अपील पर सुनवाई करते हुए जहां निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा, वहीं बिजली निगम की अपील भी खारिज कर दी। अधिवक्ता का कहना है कि बिजली निगम इस प्रकार के बिजली चोरी के मामले बनाकर उपभोक्ताओं को परेशान कर रहा है। पीडि़त उपभोक्ता बिजली निगम के खिलाफ ह्रासमेंट का मामला दायर करने की तैयारी में जुट गया है, क्योंकि बिजली निगम ने उसके ऊपर चोरी का झूठा केस दायर कर उसे बड़ा परेशान किया है।
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