NCR

सीमांत गांधी खान अब्दुल गफ्फार खान ने देश की आजादी के लिए किया था बड़ा संघर्ष : अरुण शर्मा


गुडग़ांव: ख़ान अब्दुल गफ्फार खान जिन्हें सीमांत गांधी के नाम से भी जाना जाता है, उनका जन्म 6 फरवरी 1890 को हुआ था। वह
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रमुख अनुयायी थे और हिंदू मुस्लिम एकता के पक्षधर भी वे रहे हैं। वर्ष 1919 में रोलेट एक्ट के विरुद्ध देश में
चले राष्ट्रीय आंदोलन में भी उन्होंने बढ़-चढक़र भाग लिया था। अंग्रेजी शासन के खिलाफ चले खिलाफत आंदोलन में भी वे पूरी तरह से सक्रिय रहे थे। वर्ष 1929 में खुदाई खिदमतगार आंदोलन की शुरुआत उन्होंने की थी, जो एक औपनिवेशिक विरोधी तथा अहिंसक आंदोलन था। वर्ष 1987 में उन्हें देश के सर्वाेच्च नागरिक पुरुस्कार भारत रत्न से देश की सरकार ने सम्मानित किया था। यह सम्मान प्राप्त करने वाले वह प्रथम गैर भारतीय थे।

उनकी मृत्यु 20 जनवरी 1988 को हुई थी। देशवासी उनकी देश को आजाद कराने में सेवाओं को कभी भुला नहीं पाएंगे। यह बात जिला बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव वरिष्ठ अधिवक्ता पंडित अरुण शर्मा ने खान अब्दुल गफ्फार खान की पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए कही। उन्होंने बताया कि खान अब्दुल गफ्फार खान एक महान राजनेता थे, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढक़र भाग लिया था और अपने इस कार्य व निष्ठा के कारण ही वह सीमांत गांधी के नाम से प्रसिद्ध हुए। उनका जन्म पेशावर, पाकिस्तान में हुआ था। उनका मानना था कि प्रत्येक खुदाई खिदमतगार की यही प्रतिज्ञा होती है कि हम खुदा के बंदे हैं।

दौलत या मौंत की हमें कदर नहीं है। उन्होंने सिखों के गुरु ग्रंथ साहिब व गीता का अध्ययन भी किया था। कांग्रेस के साथ मिलकर उन्होंने देश के लिए आजादी की लड़ाई लड़ी थी। 1942 के अगस्त आंदोलन के सिलसिले में उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था। वह देश के बंटवारे से बड़े परेशान थे। पाकिस्तान के विरुद्ध भी उन्होंने स्वतंत्र पस्तूनिस्तान आंदोलन आजीवन जारी रखा। 1970 में वे भारत आए थे और देश के विभिन्न प्रदेशों का दौरा भी किया था। वर्ष 1988 में पाकिस्तान सरकार ने उन्हें पेशावर में उनके घर में ही नजरबंद कर दिया था। 20 जनवरी 1988 को उनकी मृत्यु हुई थी। सीमांत गांधी का नाम आज भी देशवासी बड़े सम्मान से लेते हैं।

Comment here