गुडग़ांव- आधुनिक पंजाबी साहित्य के प्रवर्तक, नाटककार, साहित्यकार, निबंध लेखक व कवि भाई वीर सिंह की जयंती पर उन्हें याद करते
हुए साहित्यकार डा. घमंडीलाल अग्रवाल ने कहा कि उनका जन्म 5 दिसम्बर 1872 में अमृतसर के डा. चरण सिंह के परिवार में हुआ था। उन्होंने खालसा दीवान और सिंह सभा आंदोलन की सफलता के लिए अनेक लेख लिखे। 1894 में भाई वीर सिंह ने खालसा टै्रक्ट सोसायटी की स्थापना की और साप्ताहिक खालसा समाचार पत्र भी निकाला। उन्होंने कई उपन्यास भी लिखे। उनके साहित्य का संबंध
अधिकतर सिख इतिहास से ही रहा है। डा. अग्रवाल ने कहा कि लहरा दें हार, प्रीत वीणा, कंब दी कलाई, कंत महली, साइयां जीओ इनके प्रसिद्ध काव्य संग्रह रहे हैं।
प्रकृति संबंधी कविताओं में कश्मीर के सुंदर दृश्यों का भी वर्णन भाई वीर सिंह ने अपनी रचनाओं में किया। वह संगीत और कला के भी प्रेमी थे। पंजाब विश्वविद्यालय ने उन्हें डी लिट की उपाधि से सम्मानित भी किया था। उनकी कई रचनाएं साहित्य अकादमी द्वारा पुरुस्कृत भी हुई थी। लेखन के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने पर भारत सरकार द्वारा उन्हें वर्ष 1956 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। उन्होंने गुरु गोविंद सिंह व गुरु नानक के जीवन पर भी बहुत कुछ लिखा था। वर्ष 1957 की 10 जून को उनका निधन हो गया था। डा. अग्रवाल ने कहा कि साहित्य क्षेत्र से जुड़े लेखकों, कवियों व साहित्यकारों को भाई वीर सिंह की रचनाओं से प्रेरणा लेनी चाहिए। यही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
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