गुडग़ांव- देश के स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं का भी बड़ा योगदान रहा है। कई महिलाओं ने देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहूति भी दे दी थी। उनके बलिदान के कारण ही देश आजाद हो सका, तभी देशवासी आज खुली हवा में सांस ले रहे हैं। देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाली ऊदा देवी की पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए वक्ताओं ने कहा कि वह पासी जाति से संबंधित एक वीरांगना थीं। वह अवध के नबाव वाजिद अली शाह के महिला दस्ते की सदस्या थीं। वह लखनऊ की रहने वाली थी। उनके पति मक्का पासी ने भी देश की आजादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया था। उसी से उन्हें साहसिक कारनामा अंजाम देने की शक्ति प्राप्त हुई थी।
वाजिद अली शाह भी अंग्रेजों से टक्कर लेते रहे थे। उन्होंने बड़ी संख्या में अंग्रेजों के खिलाफ अपनी सेना में महिलाओं को भी भर्ती किया था और उन्हें सैनिक प्रशिक्षण भी दिया गया था, ताकि वे अंग्रेजी सेना से टक्कर ले सकें। वक्ताओं का कहना है कि लखनऊ की घेराबंदी कर अंगे्रजी फौजों ने भारतीय सिपाहियों पर चढ़ाई कर दी थी। ऊदा देवी ने ब्रिटिश सेना को सिंकदर बाग में तब तक प्रवेश नहीं करने दिया था, जब तक कि उनका गोला-बारुद समाप्त नहीं हो गया। 16 नवम्बर 1857 को 32 अंगे्रज सैनिकों को मौंत के घाट उतारकर ऊदा देवी वीरगति को प्राप्त हुई थी। ब्रिटिश सैनिकों ने उन्हें उस समय गोली मारी जब वह पेड़ से उतर रही थी। उसके बाद ही ब्रिटिश सेना सिकंदरबाग में प्रवेश कर सकी थी। वक्ताओं ने कहा कि देश की महिलाओं को ऐसी वीरांगना से देशप्रेम की शिक्षा लेनी चाहिए।
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