गुडग़ांव- संपूर्ण विश्व और मानवता के इतिहास में श्रीमदभागवत गीता ही एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जो महाभारत युद्ध के मैदान में अवतरित हुआ है। महाभारत जैसे भयंकर महायुद्ध जिसे टालने के लिए योगेश्वर श्रीकृष्ण ने बहुत प्रयास किए, लेकिन कौरवों के स्वार्थ और अहंकारों की नीतियों के चलते महाभारत का युद्ध नहीं टाला जा सका था। श्रीमदभागवत गीता आज भी प्रसांगिक है। उक्त उद्गार धर्मनगरी कुरुक्षेत्र
के जयराम विद्यापीठ आश्रम में आयोजित 2 दिवसीय श्रीमदभागवत कथा ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ करते हुए महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि धर्म की व्यवस्था और अधर्म की पाश्वविकता के संघर्ष में धर्म की विजय के लिए उत्प्रेरक तत्व का नाम श्रीमदभागवत गीता है।
महाराज जी ने कहा कि श्रीमदभागवत गीता की व्यापकता को इसी तथ्य से समझा जा सकता है कि श्रीमदभागवत गीता के अवतरण के बाद से आज तक जितने भी धार्मिक, आद्यात्मिक व दार्शनिक ग्रंथ लिखे गए हैं, उनमें श्रीमदभागवत गीता की छाप बिल्कुल स्पष्ट है। संपूर्ण विश्व और मानवता की रक्षा का एकमात्र मार्ग केवल श्रीमदभागवत गीता का ही मार्ग है। स्वामी अमृतानंद ने कहा कि विश्व के हर विश्वविद्यालय में श्रीमदभागवत गीता का पठन-पाठन अनिवार्य रुप से होना चाहिए, ताकि संपूर्ण विश्व धर्म और अधर्म के अंतर को समझ सकें। महामंडलेश्वर साध्वी अन्नपूर्णा भारती ने कहा कि वे योगेश्वर श्रीकृष्ण के संदेश श्रीमदभागवत गीता को घर-घर तक पहुंचाने के लिए प्रयास करेंगी। कार्यक्रम को बालयोगी ज्ञाननाथ, यति निर्भयानंद, स्वामी नारद गिरि आदि ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर धर्मप्रेमी भी बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
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