गुडग़ांव- भारतीय पक्षी विज्ञानी और प्रकृतिवादी सामिल मोइजुद्दीन अब्दुल अली की जयंती पर उन्हें याद करते हुए पक्षी प्रेमियों ने कहा कि उनका जन्म मुंबई में एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार में 12 नवम्बर 1896 को हुआ था। इनका बचपन पक्षियों के बीच ही गुजरा। इसलिए
उन्हें पक्षियों व प्रकृति से बड़ा प्रेम था। वक्ताओं ने कहा कि उनका बचपन प्रकृति के स्वछंद वातावरण में ही बीता, इसलिए वे उच्च शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाए। उन्होंने पक्षी शास्त्र विषय में प्रशिक्षण भी लिया और मुंबई के नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी में गाइड के पद पर नियुक्त भी हो गए। उन्होंने पक्षियों के रहन-सहन को लेकर भी काफी कार्य किया। वक्ताओं ने कहा कि इंसानों से अलग जीवों के बारे में सोचने वाले वह विरले व्यक्ति थे। वे परिंदों की जुबां समझते थे।
इसलिए उन्हें देश-विदेश में विभिन्न सम्मानों से नवाजा गया। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठानों ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि से भी नवाजा। उन्होंने पक्षियों पर लिखी किताबों में भी काफी सहयोग दिया। भारत सरकार ने उनके पक्षी व प्रकृति प्रेम का सम्मान करते हुए उन्हें पद्मभूषण व पद्मविभूषण जैसे सम्मानों से भी सम्मानित किया। उन्हें भारत के बर्डमैन के रुप में भी जाना जाता है। 27 जुलाई 1987 को 91 वर्ष की आयु में डा. सालिम अली का निधन हो गया था। प्रकृति प्रेमियों ने आमजन से आग्रह किया है कि वे परिंदों के संरक्षण के लिए डा. सालिम अली से प्रेरणा लेकर कार्य करें।
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