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लोकनायक जयप्रकाश नारायण थे त्याग एवं बलिदान की प्रतिमूर्ति

गुडग़ांव- भ्रष्टाचार के खिलाफ जनक्रांति के अग्रदूत लोकनायक  जयप्रकाश नारायण (जेपी) की पुण्यतिथि पर श्रमिक नेताओं अनिल पंवार व कुलदीप जांघू आदि ने उन्हें याद करते हुए कहा कि जयप्रकाश नारायण ने देश की सराहनीय सेवा की है। वह त्याग एवं बलिदान की प्रतिमूर्ति थे। उनका जन्म 11 अक्तूबर 1902 को बिहार के सिताबदियारा में देवकी बाबू के परिवार में हुआ था। गांधी जी का उनके प्रति अपार स्नेह था। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भी बढ़-चढक़र भाग लिया था।  वह एक निष्ठावान राष्ट्रवादी थे, जो केवल खादी ही पहनते थे। उन्होंने रॉलेट एक्ट जलियांवाला बाग नरसंहार के विरोध में ब्रिटिश शैली के स्कूलों को छोडक़र बिहार विद्यापीठ से उच्चशिक्षा पूरी की थी। डा. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. अनुग्रह नारायण सिन्हा से भी वह बड़े प्रभावित थे। श्रमिक नेताओं ने कहा कि देश को आजाद कराने में उन्होंने बड़ी परेशानियां झेली थी, लेकिन कभी भी अंग्रेजों के सामने घुटने नहीं टेके। डा. राम मनोहर लोहिया के साथ भी उन्होंने बड़ा कार्य किया था।

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल में जयप्रकाश नारायण सहित विपक्ष के हजारों नेताओं को गिरफ्तार कर जेलों में डाल दिया गया था और नागरिकों के अधिकार प्रतिबंधित कर दिए गए थे। आपातकाल के समाप्त होने के बाद सभी विपक्षी दलों ने जनता पार्टी का गठन किया था। 1977 के आम चुनाव में जनता पार्टी ने भारी सफलता प्राप्त की थी। लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने स्वयं राजनीतिक पद से दूर रहकर मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री मनोनीत किया था। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें 1998 में मरणोपरान्त देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। श्रमिक नेताओं ने युवाओं व कामगारों से आग्रह किया कि जेपी के दिखाए रास्ते पर चलकर ही देश व समाज का भला संभव है, यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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