गुडग़ांव- आज रविवार को अश्विन मास की शरद पूर्णिमा का आयोजन धूमधाम से किया जाएगा। विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं द्वारा
भी शरद पूर्णिमा पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। ज्योतिषाचार्यों का भी कहना है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि गोपियों को शरद पूर्णिमा की रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण ने बंशी बजाकर अपने पास बुलाया और उन्हें ईश्वरीय अमृत का पान कराया था। इस रात्रि को चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ पृथ्वी पर शीतलता, पोषक, शक्ति एवं शांति रुपी अमृत वर्षा करता है। ज्योतिषाचार्य डा. मनोज शर्मा का कहना है कि चंद्रमा की चांदनी में विशेष हितकारी रस व किरणें होती हैं। इनका लाभ उठाना चाहिए, जिससे पूरे वर्ष स्वस्थ और प्रसन्न रहें।
अश्विनी कुमार देवताओं के वैद्य हैं, जो भी इंद्रियां शिथिल हो गई हों, उनको पुष्ट करने के लिए चंद्रमा की चांदनी में खीर रखना और भगवान को भोग लगाकर अश्विनी कुमारों से प्रार्थना करनी चाहिए कि हमारी इंद्रियों का बल-ओज बढ़ाएं और चंद्रमा में रखी गई खीर का सेवन करें। उनका कहना है कि चंद्रमा की रात्रि में सुईं में धागा पिरोने का अभ्यास करने से नेत्र ज्योति में वृद्धि होती है। शरद पूर्णिमा दमे की बीमारी वालों के लिए वरदान का दिन है। गर्भवती महिलाओं के लिए भी यह लाभदायक है। कहा
जाता है कि चंद्रमा की चांदनी गर्भवती महिला की नाभि पर पड़े तो गर्भ पुष्ट होता है।
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