गुडग़ांवI देश की स्वतंत्रता में असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों व क्रांतिकारियों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। उनके बलिदान को देशवासी कभी भी भुला नहीं पाएंगे। फ्रांसीसियों से माही क्षेत्र को आजाद कराने में अग्रणी भूमिका निभाने वाले आईके कुमारन को उनकी जयंती पर उन्हें याद करते हुए वक्ताओं ने कहा कि वह देश की राष्ट्रीय धारा से जुड़े रहने वाले व्यक्ति थे। उन पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचारों का बड़ा प्रभाव था। उनका जन्म 17 सितम्बर 1903 को माही के एक व्यवसायी परिवार में हुआ था। वह वर्ष 1930 में कांग्रेस में सम्मिलित हो गए थे और माही यूथ लीग की उन्होंने स्थापना भी की थी।
उन्होंने माही क्षेत्र से फ्रांसीसी शासन हटाने के साथ-साथ भारत से ब्रिटिश सत्ता हटाने की भी मांग की। जिस पर उन्हें कई बार जेल यात्रा करनी पड़ी थी। फ्रांसीसियों ने उन पर मुकदमा भी चलाया थाऔर उन्हें 20 वर्ष की कारावास की सजा सुनाई गई। वक्ताओं ने कहा कि वर्ष 1954 में आईके कुमारन ने विदेशी सत्ता पर अंतिम प्रहार के रूप में व्यापक सत्याग्रह आंदोलन आरंभ कर दिया था। जिसके कारण फ्रांसीसियों को माही क्षेत्र से जाना पड़ा था। देश की स्वतंत्रता के बाद वह विधान सभा के सदस्य चुने गए थे। उनका निधन 27 जुलाई 1999 को हुआ था। वक्ताओं ने युवाओं से आग्रह किया कि वे आईके कुमारन के जीवन से प्रेरणा लेकर देश व समाज के विकास में अपना योगदान दें।
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