गुडग़ांवI भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में साहित्यकारों व कवियों का भी विशेष योगदान रहा। उन्होंने जहां अपनी रचनाओं के माध्यम से देशवासियों को स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के लिए प्रेरित किया, वहीं उन्होंने क्रांतिकारियों पर भी अनेकों पुस्तकें लिखी, ताकि देशवासियों
में स्वतंत्रता प्राप्त करने के प्रति और अधिक उत्साह की वृद्धि हो सके। इन्हीं में से एक हैं भारतीय कवि व लेखक श्रीकृष्ण सरल। उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए साहित्यकार डा. घमंडीलाल अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने अपना संपूर्ण लेखन भारतीय क्रांतिकारियों पर ही किया है। उनके क्रांति लेख व महा काव्यों की संख्या 15 है।
जिनके माध्यम से उन्होंने क्रांतिकारियों के बलिदानों से देशवासियों को परिचित कराया। उनके द्वारा रचित रचना मैं अमीर शहीदों का चारण एक लोकप्रिय कविता है। उनका जन्म एक जनवरी 1919 को मध्यप्रदेश के गुना जिले के अशोक नगर में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त कर उन्होंने उज्जैन से उच्च शिक्षा प्राप्त की और महाविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर भी कार्यरत रहे। स्वतंत्रता संग्राम में भी उनका बड़ा योगदान रहा था। प्रोफेसर के पद से निवृत होकर आजीवन साहित्य साधना में लगे रहे। उन्हें विभिन्न संस्थाओं द्वारा भारत गौरव, राष्ट्र कवि, क्रंति कवि, क्रांति रत्न, अभिनव भाषण, मानव रत्न आदि से विभूषित किया गया।
डा. अग्रवाल का कहना है कि राजऋषि पुरुषोत्तमदास टंडन से प्रेरित श्रीकृष्ण सरल ने शहीद भगत सिंह की माता विद्यावती व विलक्षण क्रांतिकारियों को अपने साहित्य का विषय बनाया था। उन्होंने तुलसी मानस, सरल रामायण एवं सीतायन, 15 महाकाव्यों सहित 124 ग्रन्थ लिखे। 2 सितम्बर 2000 को उनका निधन हो गया था। डा. अग्रवाल ने युवा साहित्यकारों व कवियों से आग्रह किया है कि श्रीकृष्ण सरल के आदर्शों पर चलकर वे अपना भविष्य उज्जवल कर सकते हैं।
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