गुडग़ांवI पंजाबी भाषा की प्रसिद्ध कवियत्री, उपन्यासकार व निबंधकार अमृता प्रीतम की जयंती पर साहित्य के क्षेत्र में जुटे लोगों ने उन्हें याद किया। बाल साहित्यकार डा. घमंडीलाल अग्रवाल ने कहा कि उन्हें 20वीं सदी की पंजाबी भाषा की सर्वश्रेष्ठ कवयित्री माना जाता है। उन्होंने पंजाबी जगत में 6 दशकों तक राज किया। उनका जन्म 31 अगस्त 1919 में गुजरांवाला जोकि अब पाकिस्तान में है हुआ था। लाहौर में
उन्होंने शिक्षा प्राप्त की और किशोरावस्था से ही उन्होंने पंजाबी में लेखन शुरु कर दिया था। उन्होंने कुल मिलाकर करीब 100 पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें उनकी चर्चित आम कथा रसीदी टिकट भी शामिल है। अमृता प्रीतम उन साहित्यकारों में थी, जिनकी कृतियों का अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ। उन्हें केंद्र सरकार ने पद्मविभूषण से भी सम्मानित किया था।
जबकि साहित्य अकादमी पुरुस्कार से वह पहले ही अलंकृत हो चुकी थी। उनका पहला संकलन 16 वर्ष की अल्पायु में प्रकाशित हुआ था। उन्होंने भारत विभाजन का दौर भी सहा था और इसे अपनी कहानियों में बयां भी किया था। डा. अग्रवाल ने कहा कि इनकी रचनाओं में महिला पात्रों की पीड़ा और वैवाहिक जीवन के कटु अनुभवों का अहसास को महसूस किया जा सकता है। देश विभाजन की पीड़ा को लेकर इनके उपन्यास पिंजर पर एक फिल्म भी बनाई गई थी। उनका निधन 31 अक्तूबर 2005 को हो गया था। डा. अग्रवाल ने साहित्य के क्षेत्र में कार्य कर रहे युवा साहित्यकारों से आग्रह किया कि अमृता प्रीतम के आदर्शों पर चलकर वे सफलता प्राप्त कर सकते हैं। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
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