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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को उनकी पुण्यतिथि पर किया याद

गुडग़ांवI देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए वक्ताओं ने कहा कि 24 जुलाई 2012 को प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति पद की शपथ लेकर भारत गणराज्य के 13वें राष्ट्रपति बने थे। उनका जन्म पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के किरनाहर शहर के गांव मिराटी में एक ब्राह्मण परिवार में 11 दिसंबर 1935 में हुआ था। उनके पिता कामदा किंकर मुखर्जी एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे और
आजादी की लड़ाई में उन्होंने बढ़-चढक़र भाग लिया था। 10 वर्षों से अधिक उन्होंने ब्रिटिश जेलों में सजा काटी थी। प्रणब मुखर्जी ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी और कलकत्ता से ही इतिहास व राजनीति विज्ञान में स्नोतकोत्तर की शिक्षा भी ली थी। उन्होंने कानून की उपाधि भी प्राप्त की थी।

प्राद्यापक के रुप में उन्होंने वीरभूम जिले के एक कॉलेज में नौकरी भी की थी। शिक्षक और वकालत के रुप में भी उन्होंने कार्य किया था। वक्ताओं ने कहा कि प्रणब मुखर्जी संजीदा व्यक्तित्व वाले नेता हैं। उनकी रविंद्र संगीत में भी रुचि थी और मां दुर्गा के उपासक भी थे। पिता के राजनीति में होने के कारण प्रणब मुखर्जी को भी राजनीति में आना पड़ा। 1969 में वह पहली बार राज्यसभा से सांसद चुनकर आए थे। वह केंद्रीय मंत्री भी रहे थे। देश के वित्तमंत्री का कार्यभार भी उन्होंने संभाला था।

वह 7 बार केबिनेट मंत्री रहे। वक्ताओं ने कहा कि कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने विभिन्न पदों पर भी कार्य किया था। राजनीति में प्रणब मुखर्जी मनमोहन सिंह से वरिष्ठ थे। राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए उन्होंने राष्ट्रपति भवन को आम लोगों के लिए और अधिक पहुंच वाला बना दिया था। ग्रामीणों की दशा सुधारने के लिए उन्होंने गुडग़ांव जिले के गांव दोहला को गोद भी लिया था, ताकि ग्रामीणों की स्थिति को और अधिक सुधारा जा सके। 31 अगस्त 2020 को उनका दिल्ली में निधन हो गया था। उन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया।

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