गुडग़ांवI भारत के स्वतंत्रता संग्राम में बिहार के चंपारण के राजकुमार शुक्ल का बड़ा योगदान रहा था। महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह में न केवल उन्होंने बढ़-चढक़र भाग लिया, अपितु जनमानस को भी सत्याग्रह में शामिल होने के लिए जागरुक किया था। राजकुमार शुक्ल
के प्रयासों से ही महात्मा गांधी चंपारण आए थे। उनकी जयंती पर उन्हें याद करते हुए वक्ताओं ने कहा कि चंंपारण सत्याग्रह में चंपारण के लोगों ने बड़ा योगदान दिया था। उनका कहना है कि लोगों के तप, त्याग, संघर्ष व मेहनत का ही परिणाम रहा कि मोहनदास कर्मचंद गांधी चंपारण से महात्मा बनकर लौटे थे।
चंपारण सत्याग्रह ने उन्हें मोहनदास कर्मचंद गांधी से महात्मा गांधी बना दिया था। हालांकि इस आंदोलन में चंपारण के निवासियों पर दर्जनों मुकदमे चलाए गए थे और सैकड़ों की संख्या में लोगों को अंग्रेजों ने जेल में डाल दिया था। गांधी जी ने भी अपनी आत्मकथा में राजकुमार शुक्ल के बारे में विस्तृत जानकारी दी है। गांधी जी भी उनसे बड़े प्रभावित रहे थे। वक्ताओं ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में अधिक व्यस्त रहने के कारण उनका स्वास्थ्य दिन-प्रतिदिन गिरता गया और 54 वर्ष की आयु में ही 20 मई 1929 को उनका निधन हो गया था। वक्ताओं ने कहा कि ऐसे स्वतंत्रता सेनानी से देशवासियों को शिक्षा लेनी चाहिए। यही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि
होगी।
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