गुडग़ांवI देशवासी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, जिसके तहत स्वतंत्रता सेनानियों, अमर शहीदों व क्रांतिकारियों को याद किया जा रहा है। स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी समाजसेवी व शिक्षक तथा स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झण्डा ऊँचा रहे हमारा गीत की रचना करने वाले श्यामलाल गुप्त को उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए वक्ताओं ने कहा कि श्यामलाल गुुप्त का जन्म उत्तरप्रदेश के कानपुर जिले के नरवल गांव में 9 सितम्बर 1896 को मध्यवर्गीय वैश्य परिवार में हुआ था। उनकी रुचि बाल्यकाल से ही कविताओं की रचना करने के प्रति रही। उन्होंने 15 वर्ष में ही हरिगीतिका, सवैया, घनाक्षरी आदि छन्दों में रामकथा के बालकांड की रचना की थी। उन्होंने अध्यापन कार्य भी किया था। अमर शहीद गणेशशंकर विद्यार्थी और साहित्यकार प्रताप नारायण मिश्र का सानिध्य भी उन्हें प्राप्त हुआ था। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
नमक आंदोलन तथा भारत छोड़ो आंदोलन में भी सक्रिय रहे थे। उन्होंने जेल यात्राएं भी करनी पड़ी थी। वह 6 वर्षों तक राजनैतिक बंदी रहे। स्वतंत्रता सघर्ष के साथ ही उन्होंने कविता रचना का कार्य जारी रखा। गणेश शंकर विद्यार्थी की प्रेरणा से उन्होंने झण्डा गीत विजयी विश्व तिरंगा प्यारा झण्डा ऊंचा रहे हमारा की रचना भी की। स्वतंत्रता आंदोलन में इस झण्डा गीत ने देशवासियों को स्वतंत्रता के प्रति प्रेरित किया था। उन्होंने कई सामाजिक कार्य भी किए। महिलाओं के शिक्षा दिलाने जहां सक्रिय रहे, वहीं दहेज प्रथा का भी उन्होंने विरोध किया था। विधवा विवाह को सामाजिक मान्यता दिलाने में भी उनका सक्रिय योगदान रहा। उन्होंने वर्ष 1973 में पद्म श्री से भारत सरकार ने अलंकृत किया गया था। 10 अगस्त 1977 को उनका निधन हो गया था। वक्ताओं ने कहा कि ऐसे देशभक्त स्वतंत्रता सेनानी के आदर्शों पर चलकर ही देश व समाज का भला संभव है।
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