गुडग़ांवI देश के स्वतंत्रता संग्राम में असंख्य लोगों ने अपना योगदान दिया था। उन्हीं के योगदान के कारण देश आजाद हो सका था। स्वतंत्रता सेनानी व उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबू बनारसी दास की पुण्यतिथि पर वक्ताओं ने उन्हें याद करते हुए कहा कि उनका जन्म 8
जुलाई 1912 को उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर में हुआ था। वह 15 वर्ष की अल्पायु में ही स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए थे। उन्होंने नौजवान भारत सभा और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में सक्रिय कार्यकर्ता के रुप में भी कार्य किया था। गांधी जी के नमक सत्याग्रह आंदोलन में भी उन्होंने जहां बढ़-चढक़र भाग लिया, वहीं युवाओं को सत्याग्रह में शामिल होने के लिए जागरुक भी किया था। वह साईकिल पर गांव-गांव घूमकर युवाओं को अंग्रेजी शासन के खिलाफ जागरुक भी करते रहे थे।
गांधी जी से प्रभावित होकर उन्होंने छुआछूत मिटाने का अभियान भी जोरोशोरों से किया था। जेल यात्राओं के दौरान अंग्रेजों ने उन्हें काफी यातनाएं भी दी थी। वह तत्कालीन नेताओं जवाहरलाल नेहरु, सरदार पटेल, मौलाना आजाद, लाल बहादुर शास्त्री, सरोजनी नायडू, गोविंद वल्लभ पंत के संपर्क में आकर देशसेवा में उन्होंने अपना बड़ा योगदान दिया था। देश आजाद होने के बाद उन्हें उत्तरप्रदेश का मुख्यमंत्री भी बनाया गया था। उन्होंने मुख्यमंत्री की सरकारी कोठी के बजाय अपने आवास में ही रहना पसंद किया था। वक्ताओं ने बताया कि उन्होंने खादी और ग्रामोद्योग विकास के लिए बहुत सी योजनाएं चलाई थी। वह कई वर्षों तक उत्तरप्रदेश हरिजन सेवक संघ के अध्यक्ष भी रहे थे। उनका निधन 3 अगस्त 1985 को हो गया था। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि बाबू बनारसी दास के दिखाए रास्ते पर चलें, ताकि देश व समाज का विकास हो सके।
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