गुडग़ांवI देश के विभिन्न प्रदेशों में बड़ी संख्या में विश्व स्तरीय धार्मिक स्थल हैं, जिनमें प्रतिदिन करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना कर अपनी मनोकामना सिद्धि के लिए ईश्वर से प्रार्थना भी करते आ रहे हैं। इन धार्मिक स्थलों में जाने के लिए भी कुछ नियम बनाए हुए हैं ताकि श्रद्धालु इन धार्मिक स्थलों में जाकर पूरे विधिविधान के अनुसार पूजा-अर्चना कर सकें। ज्योतिषाचार्य डा. मनोज शर्मा का कहना है कि धार्मिक स्थलों पर जाने के लिए भी नियम बनाए गए हैं जिनका उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है। उनका कहना है कि प्रभु के घर यानि कि धार्मिक स्थलों पर जब भी जाएं तो साफ वस्त्र धारण करके ही जाएं।
मंदिर में जाने के लिए भी तिलक का बड़ा ही महत्व है। यदि गले में तुलसी की माला धारण की जाए तो भगवान इससे अति प्रसन्न होते हैं। ईश्वर के घर कभी भी खाली हाथ न जाएं। यानि कि अपनी सामथ्र्यनुसार पुष्प, फल, मिठाई लेकर अवश्य जाएं। श्रीविग्रह के रुप में ईश्वर स्वयं विराजमान हैं। उनके दर्शन करते ही उन्हें दंडवत प्रणाम करना चाहिए। भगवान का दर्शन करते समय कोई और बात न करें। अपना सारा ध्यान प्रभू की आराधना में ही लगाएं। मंदिर या धार्मिक स्थलों के आस-पास गंदगी न फैलाएं। क्योंकि यह प्रभू का घर है। मंदिर में सामथ्र्यनुसार श्रद्धालुओं को दान करना चाहिए।
दान दी गई धनराशि से मंदिर में कई कल्याणकारी कार्य भी किए जाते हैं, जिनका सीधा संबंध जरुरतमंदों व बेसहारा लोगों से होता है। जबरदस्ती का दान कराया जाना उचित नहीं है। अपनी श्रद्धा के अनुसार ही अपनी नेक कमाई में से दान किया जाना चाहिए। डा. मनोज का कहना है कि ईश्वर श्रद्धालु की श्रद्धा व पे्रम के भूखे हैं। लक्ष्मी तो ईश्वर के चरणों की दासी है। इसलिए ये सब छोटे बड़े नियम बनाए गए हैं। जिनका सभी श्रद्धालुओं को ध्यान रखना चाहिए ताकि ईश्वर की कृपा सब पर बनी रहे।
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