गुडग़ांवIआजादी के 75वें अमृत महोत्सव को देशवासी बड़ी धूमधाम से मना रहे हैं, जिसमें देश को स्वतंत्र कराने में अहम योगदान देने वाले शहीदों, क्रांतिकारियों व स्वतंत्रता सेनानियों को देशवासी याद भी कर रहे हैं। राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का डिजायन तैयार करने वाले कृषि वैज्ञानिक पिंगली वैंकैया की पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए वक्ताओं ने कहा कि वैंकैया का जन्म 2 अगस्त 1876 को आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम के निकट भटलापेनुमारु नामक स्थान पर ब्राह्मण कुल में हुआ था। उन्होंने उच्च शिक्षा कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से प्राप्त की थी। विदेश से लौटने पर उन्होंने कई विभागों में सरकारी नौकरी भी की थी। उन्हें उर्दू व जापानी भाषा के साथ-साथ भू विज्ञान तथा कृषि क्षेत्र की समस्याओं के बारे में ज्ञान था। उनको कृषि वैज्ञानिक के रुप में भी जाना जाता है।
उन्होंने भारतीय सेना में सेवा देते हुए दक्षिण अफ्रीका के एंग्लो-बोअर युद्ध में भी भाग लिया था। यहीं से वह महात्मा गांधी के संपर्क में आए और गांधी की विचारधारा से बड़े प्रभावित हुए। वर्ष 1916 से 1921 तक विभिन्न देशों के ध्वजों का उन्होंने अध्ययन भी किया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान वेंकैया ने भारत का खुद का राष्ट्रीय ध्वज होने की आवश्यकता पर बल दिया। उनका यह विचार महात्मा गांधी को बड़ा पसंद आया और उन्होंने वेंकैया को देश का राष्ट्रीय ध्वज का प्रारुप तैयार करने का आदेश भी दिया था। उन्होंने लाल और हरे रंग से बनाया हुआ झण्डा भी तत्कालीन कांग्रेस नेताओं को बनाकर दिखाया। लेकिन यह अधिक पसंद नहीं किया गया।
वक्ताओं ने बताया कि जालंधर के हंसराज ने ध्वज में चक्र चिन्ह बनाने का सुझाव भी वेंकैया को दिया था। चक्र को प्रगति और आम आदमी के प्रतीक के रुप में माना गया है। गांधी जी के सुझाव पर वेंकैया ने शांति के प्रतीक सफेद रंग को भी राष्ट्रीय ध्वज में शामिल कर लिया था। वर्ष 1931 में कांग्रेस ने कराची के अखिल भारतीय सम्मेलन में केसरिया, सफेद और हरे 3 रंगों से बने इस ध्वज को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया था। बाद में देश के राष्ट्रीय ध्वज में यानि कि तिरंगे के बीच चरखे की जगह अशोक चक्र ने ले ली थी, तभी से यही ध्वज राष्ट्रीय ध्वज के रुप में केंद्र व प्रदेश सरकारों ने अंगीकार किया हुआ है। उनका निधन 4 जुलाई 1963 को हुआ था।
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