गुडग़ांवI आजादी के 75वें अमृत महोत्सव के तहत देशवासी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान देने वाले शहीदों, क्रांतिकारियों व स्वतंत्रता सेनानियों को याद कर रहे हैं। उन्हीें की बदौलत देश आजाद हो पाया था और तभी देशवासी खुली हवा में सांस ले रहे हैं। वक्ताओं ने परोपकारी राष्ट्रवादी व महान स्वतंत्रता सेनानी बाबू शिव प्रसाद गुप्ता की जयंती पर उन्हें याद करते हुए कहा कि वह महान दृष्टा थे। जहांं उन्होंने काशी विद्यापीठ की स्थापना की, वहीं उन्होंने बनारस में भव्य भारत माता मंदिर का निर्माण भी कराया था। उनका जन्म एक समृद्ध
वैश्य परिवार में 28 जून 1883 को हुआ था।
उन्होंने स्नातक की शिक्षा ग्रहण की थी, लेकिन उन्होंने संस्कृत, फारसी और हिंदी का अध्ययन घर पर ही किया था। वह पण्डित मदन मोहन मालवीय, लाला लाजपत राय, महात्मा गांधी, आचार्य नरेन्द्र देव तथा डा. भगवान दास से अत्यन्त प्रभावित थे। उन्होने अपना सारा जीवन भारत के स्वतंत्रता संग्राम के लिए चल रहे विभिन्न आन्दोलनों में भाग लेने तथा उनकी आर्थिक सहायता करने में लगा दिया था। वक्ताओं ने कहा कि उन्होंने देश को आजाद कराने में लगे क्रांतिकारियों को भी आर्थिक सहयोग दिया था। उन्हें कई बार जेल यात्राएं भी करनी पड़ी। काशी विद्यापीठ जोकि अब एक विश्वविद्यालय है, उसमें असंख्य छात्र शिक्षा ग्रहणकरते आ रहे हैं।
उनके द्वारा निर्माण कराया गया भारत माता मंदिर का उद्घाटन स्वयं महात्मा गांधी ने किया था। उन्होंने गांधी आश्रम के लिए 150 एकड़ भूमि दान में दे दी थी। उन्होंने देश की आजादी में सहयोग देने वाले क्रांतिकारियों व स्वतंत्रता सेनानियों की प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से काफी सहायता भी की थी। उनका निधन 24 अप्रैल 1944 को हो गया था। भारत सरकार ने उनकी स्मृति में डाक टिकट भी जारी किया था। देशवासियों को बाबू शिवप्रसाद गुप्ता के आदर्शों को अपनाते हुए देश व समाज की सेवा करनी चाहिए यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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