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आषाढ़ माह में सूर्य पूजा का है विशेष महत्व उपासना करने से होती है मनोवांछित इच्छाओं की पूर्ति

गुडग़ांवI आषाढ़ माह शुरु हो चुका है। आषाढ़ माह में भगवान भास्कर यानि कि सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि भगवान
श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र को इस माह सूर्य देव की पूजा से होने वाले लाभों के बारे में बताया था कि आषाढ़ के माह में सूर्य देव की पूजा, उपासना,
आराधना और जलार्पण करने से मनोवांछित इच्छाओं की पूर्ति होती है और सरलता से मोक्ष भी मिल जाता है। इस माह बारिश होने से धरती तृप्त होती है, ऐसे में सूर्यदेव की उपासना का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इन मान्यताओं के अलावा अन्य वैज्ञानिक कारण भी हैं। प्रात: काल सूर्य को जल चढ़ाने से जहां नेत्र विकार दूर होते हैं, वहीं शरीर में विटामिन डी की पूर्ति होती है। सूर्य को जल चढ़ाते समय उनकी किरणें जलधार से परावर्तित होकर हमारी आंखों व शरीर पर पड़ती हैं।

इन किरणों में 7 रंगों का समावेश होता है। ऋतु परिवर्तन के साथ ही लोगों को गर्मी से राहत मिलती है। चातुर्मास का शुभारंभ भी आषाढ़ माह में होता है। योगिनी, देवशयनी एकादशी, गुरु पूर्णिमा, जगन्नाथ स्वामी रथयात्रा और गुप्त नवरात्र आदि विशेष पर्व इसी माह में आते हैं। इस वर्ष के राजा शनि हैं, इसलिए सूर्य की उपासना और भी प्रसांगिक हो जाती है। सूर्य की उपासना करने से शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं। सूर्य पूजा का है बड़ा महत्व आषाढ़ में सूर्य पूजा करने से जहां जीवन में सुख-शांति बनी रहती है, वहीं शरीर के ऊपरी सतह पर चिपके हुए हानिकारक बैक्टीरिया आदि से भी निजात मिलती है।

इच्छाशक्ति और अधिक मजबूत होती है। आत्मविश्वास में वृद्धि भी होती है। कहा जाता है कि प्रात: जब जल्दी उठेंगे तो शाम को नींद भी जल्दी ही आएगी। अनिद्रा और थकान जैसी परेशानियों से भी छुटकारा मिलता है। सूर्य देव की कृपा से ही कर्णवीरों में महावीर बना और सूर्य के अनन्य भक्तों की श्रेणी में शामिल हो गया था। सूर्य की पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार तीव्रता से बढ़ता है। पिता व परमपिता परमेश्वर का भी आशीर्वाद इस माह सूर्य पूजा से मिल जाता है।

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