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आरएसएस के संस्थापक डा. हेडगेवार को उनकी पुण्यतिथि पर किया याद

गुडग़ांवI राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक डा. केशव राव बलीराम हेडगेवार को भारत के 75वें अमृत महोत्सव पर उनकी
पुण्यतिथि पर याद करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता किसान मोर्चा के जिला कोषाध्यक्ष सीताराम सिंघल ने कहा कि हेडगेवार का जन्म एक अप्रैल 1889 को नागपुर के ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन से ही वह क्रांतिकारी प्रवृति के थे और उन्हें अंग्रेज शासको से बड़ी घृणा थी। उन्होंने बताया कि कहा जाता है कि जब हेडगेवार स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तो अंग्रेज इंस्पेक्टर स्कूल का निरीक्षण करने आए थे।केशव राव ने अपने कुछ सहपाठियों के साथ उनका वन्दे मातरम जयघोष से स्वागत किया जिस पर वह काफी नाराज हुए और उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया। उच्च शिक्षा उन्होने कलकता से प्राप्त की थी।

देश की आजादी में भी उनका बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस के असहयोग आंदोलन में सत्याग्रह कर अपनी गिरफ्तारी दी थी और उन्हें एक वर्ष की जेल भी हुई थी। कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने देश को स्वतंत्र कराने के लिए अपना बड़ा योगदान दिया था। उनका मानना था कि देश को आजाद कांग्रेस के जनांदोलन से नहीं कराया जा सकता। उन्होंने चिंतन व मंथन कर आरएसएस नाम से संस्कारशाला के रूप में शाखा पद्धति की स्थापना की। उनका यह प्रयास रंग भी लाया और बड़ी संख्या में युवा आरएसएस से जुड़ते चले गए। क्रांतिकारियों व कांग्रेस के प्रति उनका रुख सकारात्मक ही रहा।

महात्मा गांधी द्वारा नमक कानून विरोधी आंदोलन में भी उन्होंने बढ़-चढक़र भाग लिया था और उन्हें 9 माह की कैद भी हुई थी। 30 जनवरी 1930 को सभी संघ शाखाओं में तिरंगा फहराकर पूर्ण स्वराज प्राप्ति का संकल्प भी लिया गया था। कलकता मेडिकल कॉलेज से उन्होंने प्रथम श्रेणी में चिकित्सक की परीक्षा भी उत्तीर्ण की थी, लेकिन उन्होंने विदेशों में नौकरी करने से मना कर दिया था। वरिष्ठ नेता ने बताया कि देश की आजादी में युवाओं की अधिक से अधिक भागीदारी के लिए डा. हेडगेवार संघर्ष करते रहे और 21 जून 1940 को उनका निधन हो गया। उन्होंने कहा कि डा. हेडगेवार के प्रति यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी कि उनके दिखाए रास्ते पर आरएसएस के लोग चलें। हालांकि हेडगेवार को आरएसएस में बड़ा ही सम्मान दिया जा रहा है।

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