गुडग़ांवI योग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है और शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने का काम योग ही करता है। योग करने से जहां शरीर व मन स्वस्थ रहता है, वहीं इंसान की सोच में भी बड़ा परिवर्तन होता देखा गया है। प्राचीन काल से हमार देश में ऋषि-मुनि, संत नियमित रुप से योग करने के कारण ही वर्षों जीवित रहे। योग को हमने अपने जीवन से एक तरह से निकाल ही दिया था। लेकिन बदलते परिवेश में योग को हमारे देश में ही नहीं, अपितु विश्व में भी बड़ा महत्वूपर्ण माना जाने लगा है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 11 दिसम्बर 2014 को प्रत्येक वर्ष 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। अगले सप्ताह 21 जून को देश के विभिन्न प्रदेशों में भी विश्व योग दिवस का आयोजन धूमधाम से किया जाएगा।
जिला प्रशासन व सामाजिक संस्थाओं ने विश्व योग दिवस पर कार्यक्रमों की तैयारियां पहले से ही शुरु की हुई हैं। श्रीमदभागवत गीता में भी योग के बारे में बहुत कुछ बताया गया है। आत्मा और परमात्मा के विषय में भी योगपरिभाषित है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा भी है कि कर्मों में कुशलता ही योग है। जीवात्मा और परमात्मा के मिल जाने को भी योग कहा जाता हैं। वेदों में भी योग का उल्लेख मिलता है। 21 जून 2015 को देश में प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस विश्व के अन्य देशों के साथ-साथ मनाया गया। इस अवसर पर भारत ने 2 विश्व रिकॉर्ड बनाकर गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्डस में अपना नाम दर्ज भी कराया है।
पहला रिकॉर्ड एक स्थान पर सबसे अधिक लोगों के साथ योग करने का बना तो दूसरा एक साथ सबसे अधिक देशों के लोगों के योग करने का। जानकारों का कहना है कि योग का उद्देश्य योग के अभ्यास के कई लाभों के बारे में विश्व भर में जागरूकता बढ़ाना है और लोगों के
स्वास्थ्य पर योग के महत्व तथा प्रभावों के बारे में भी आम लोगों को जागरूक करना है। योग से न केवल तनाव दूर होता है, अपितु मन और मस्तिष्क को भी शांति मिलती है। उनका कहना है कि योग न केवल हमारे दिमाग, मस्तिष्क को ही ताकत पहुंचाता है अपितु हमारी आत्मा को भी शुद्ध करता है। मोटापे से परेशान लोगों के लिए योग बहुत लाभदायक है। केंद्र व प्रदेश सरकारें भी योग को आम जनता तक पहुंचाने के लिए प्रयासारत हैं।
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