गुडग़ांवI देशवाजी आजादी के 75वें अमृत महोत्सव का आयोजन कर रहे हैं, जिसके तहत स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले शहीदों, क्रांतिकारियों व स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया जा रहा है। स्वतंत्रता संग्राम में देश के सभी प्रदेशों के लोगों ने बढ़-चढक़र भाग लिया था, तभी देश अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हो सका था। वर्तमान हरियाणा उस समय संयुक्त प्रांत का हिस्सा होता था। संयुक्त प्रांत से भी बड़ी संख्या में क्रांतिकारियों ने स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान दिया था। हरियाणा के भिवानी जिले के गांव केलगा वासी नेकीराम शर्मा ने भी
स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढक़र भाग लिया था। 8 जून 1956 को उनका निधन हो गया था। वक्ताओं ने उनकी पुण्यतिथि पर याद करते हुए कहा कि पंडित नेकीराम शर्मा ने जीवनपर्यंत अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया था।
तत्कालीन अंग्रेंजी सरकार ने उन्हें 25 मुरब्बे जमीन देने का प्रलोभन भी दिया था। उन्होंने न केवल उसे ठुकरा दिया, अपितु यह कहा था कि यह पूरा देश ही मेरा है। अंग्रेजों तुम मुझे क्या जमीन दोगे। वक्ताओं ने बताया कि उनका जन्म 7 सितम्बर 1887 को हुआ था। वह स्वतंत्रता सेनानी गोपालकृष्ण गोखले, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपतराय, महामना पंडित मदम मोहन मालवीय से बड़े प्रभावित थे। जब अंग्रेजी सरकार ने सरकार भगत सिंह, चाचा अजीत सिंह व लाला लाजपत राय को मांडले जेल भेजा तो उनसे सहन नहीं हुआ और वे अंग्रेजी सरकार के घोर विरोधी बन गए। लोकमान्य तिलक को जब 6 वर्ष के कठेार कारावास की सजा सुनाई तो नेकीराम ने उपवास रख यह प्रतिज्ञा की थी, जब तक अंग्रेजी राज समाप्त नहंी हो जाता, तब तक चैन से नहीं बैठेंगे।
वह क्रांतिकारी विचारों के थे, लेकिन सुरेंंद्र नाथ बनर्जी ने उन्हें अंहिसा का पाठ पढ़ाया। महात्मा गांधी के आह्वान पर 1921 में उन्हें असहयोग आंदोलन में शामिल होने पर गिरफ्तार कर लिया गया था। गांधी जी की प्रेरणा से पंडित नेकीराम ने अस्पृश्यता के विरुद्ध अभियान चलाया। वह पंडित जवाहरलाल नेहरु के घनिष्ठ मित्रों में से भी एक थे। वक्ताओं ने कहा कि उन्हें होम रुल आंदोलन में आसिफ अली के साथ गिरफ्तार कर लिया गया था। देश आजाद होने के बाद भी उन्होंने सदैव सामाजिक कार्य किए। वह हरियाणा केसरी के नाम से भी जाने जाते हैं। 8 जून 1956 को उनका निधन हो गया था। वक्ताओं ने कहा कि पंडित नेकीराम शर्मा के द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलकर ही देश व समाज का भला संभव है। यही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
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