गुडग़ांवI बिजली विभाग की लापरवाही से जिले के सोहना क्षेत्र की 10 वर्षीय छात्रा को बिजलीका करंट लग जाने के कारण उपचार के
दौरान उसकी जान बचाने के लिए उसके दोनों हाथ चिकित्सकों को काटने पड़ गए थे। बालिका द्वारा बिजली विभाग से मांगे गए मुआवजे के मामले की सुनवाई करते हुए पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय ने बिजली विभाग की दलीलों को खारिज करते हुए इस लापरवाही के लिए विभाग को जिम्मेदार ठहराया है और विभाग को आदेश दिया है कि वह पीडि़त यशिका को 95 लाख रुपए बतौर मुआवजा 7 प्रतिशत ब्याज दर के साथ दे। प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2016 में जब यशिका की आयु 10 साल की थी तो वह अपने स्कूल से घर लौट रही थी। इस दौरान वह बिजली के एक टूटे खंभे से लटकती बिजली के तार के संपर्क में आ गई थी।
परिजनों ने उपचार के लिए उसे सोहना के अस्पताल में दाखिल कराया था। यशिका की हालत गंभीर होने से चिकित्सकों ने उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल उपचार के लिए भेज दिया था। बच्ची की जान बचाने के लिए चिकित्सकों को उसके दोनों हाथ काटने का निर्णय लेना पड़ा था। बिजली विभाग ने अपनी लापरवाही को कतई नहीं माना था, जिस पर पीडि़ता के परिजनों ने पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय में मुआवजे को लेकर गुहार लगाई थी। उच्च न्यायालय में हुई सुनवाई में उच्च न्यायालय ने कहा है कि इस मामले में बिजली विभाग की लापरवाही सामने आई है।
विभाग ने जो दलीलें न्यायालय में पेश की, उनको खारिज करते हुए कहा कि टूटे हुए बिजली के खंभे को समय रहते क्यों नहीं हटाया गया। यदि बिजली विभाग इस खंभे को हटा देता तो मासूम बालिका दिव्यांग न हो पाती। उच्च न्यायालय ने बिजली विभाग को आदेश दिया है कि वह पीडि़ता को 95 लाख रुपए 7 प्रतिशत ब्याज की दर से जारी करे। इस राशि पर ब्याज याचिका दाखिल होने की तारीख से दिया जाएगा। उच्च न्यायालय ने यह आदेश भी दिया है कि बिजली विभाग द्वारा दी गई राशि की एफडी कराई जाए और एफडी से हर माह मिलने वाला ब्याज पीडि़ता को दिया जाए ताकि वह अपना दैनिक खर्च पूरा कर सके। जब पीडि़ता 25 वर्ष की हो जाएगी तो एफडी की राशि पीडि़ता को दे दी जाएगी।
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