गुडग़ांवI सुहागिनों ने सोमवार को वट सावित्री का व्रत रखकर अपने पति की दीर्घायु के लिए कामना की। सुहागिनों ने अपने घरों में ही
सत्यवान सावित्री की जहां कथा सुनी, वहीं ईश्वर से भी कामना की कि ईश्वर उनके पति को दीर्घायु दे। व्रतियों ने वटवृक्ष की पूजा कर उसकी परिक्रमा भी की। धार्मिक क्रंथों में उल्लेख है कि सावित्री ने प्राचीन काल में अपने पति सत्यवान के प्राण वापिस लाने के लिए यमराज तक से भी भिड़ गई थी और पति के शव को वट वृक्ष के नीचे रखकर यमराज से आग्रह किया था कि उनके पति को जीवित किया जाए।
यमराज को भी पतिव्रता सावित्री के सामने झुकना पड़ा था और उसके पति सत्यवान को जीवित भी कर दिया था। तभी से सुहागिनें व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा करती आ रही हैं। इसलिए वट वृक्ष में भी धार्मिक आस्थाएं अधिक हैं। वट वृक्ष की पूजा को पर्यावरण से भी जोडक़र देखा जाता है। वटवृक्ष जोकि प्रकृति की देन है, उसकी पूजा कर सुहागिनें सौभाग्य का वरदान भी मांगती हैं। वेद कालीन मनीषियों ने पर्यावरण को शुद्ध व संरक्षित रखने के तमाम नियम बनाकर उन्हें धार्मिक कर्मकांडों से जोड़ दिया था, ताकि जन सामान्य उनका पालन श्रद्धाभाव से कर सकें। वट अमावस्या इसी सबसे जुड़ी है।
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