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करतार सिंह को 19 वर्ष की अल्पायु में अंग्रेजों ने दे दी थी फांसी

देश को आजाद कराने में असंख्य लोगों ने अपना सर्वोच्च बलिदान व योगदान दिया है। इन स्वतंत्रता सेनानियों व शहीदों को पूरा राष्ट्र आजादी के 75वें वर्ष पर अमृत महोत्सव के रुप में मनाकर उन्हें याद भी कर रहा है। देश पर अपने प्राण न्यौछावर करने वाले करतार
सिंह सराभा को 19 वर्ष की अल्पायु में ही अंग्रेजों ने फांसी दे दी थी। वक्ताओं ने उनकी जयंती पर उन्हें याद करते हुए कहा कि करतार सिंह का जन्म पंजाब के लुधियाना जिले के गांव सराभा में 24 मई 1896 को हुआ था। उन्हें बाल्यावस्था से ही देश के लिए कुछ कर गुजरने की उनके भीतर लालसा भरी पड़ी थी। 15 वर्ष की अल्पायु में देश की आजादी में लगी गदर पार्टी में वह शामिल हो गए थे और सबसे कम उम्र के गदर पार्टी के क्रांतिकारी सदस्य बन गए थे। उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए बड़ा संघर्ष किया। देशवासियों को स्वतंत्रता के प्रति जागरुक करने के लिए पंजाबी भाषा में पार्टी की पत्रिका गदर के प्रभारी भी बन गए थे। इस पत्रिका के माध्यम से उन्होंने देशवासियों को आजादी की लड़ाई लडऩे की प्रेरणा दी थी।

करतार सिंह शहीदे आजम भगत सिंह के  प्रेरणास्त्रोत रहे। वक्ताओं का कहना है कि ऐसा माना जाता है कि सरदार भगत सिंह करतार सिंह की फोटो सदैव अपने पास रखते थे। यह खुलासा उस समय हुआ था, जब भगत सिंह को रफ्तार किया गया था। अंग्रेजों की आंखों का वे कांटा बन चुके थे। उनके क्रांतिकारी विचारों से युवा बड़े प्रभावित हुए थे और युवाओं ने गदर पार्टी में शामिल होकर क्रांतिकारी अंादेालन को आगे बढ़ाया था। स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका के लिए अंग्रेजों ने उन्हें 19 वर्ष की आयु में ही 16 नवम्बर 1915 को फांसी पर लटका दिया था। वक्ताओं ने कहा कि करतार सिंह सराभा के दिखाए मार्ग पर चला जाए तो तभी देश व समाज का विकास संभव है। यही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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