गुरुग्राम। पिछले डेढ वर्ष से कोरोना महामारी ने पूरे
विश्व को हिलाकर रख दिया है। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है। कोरोना की
पहली व दूसरी लहर का सामना भी भारत के लोग कर चुके हैं। कोरोना की दूसरी
लहर में देशवासियों को बहुत कुछ खोना पड़ा था। अब कोरोना की तीसरी लहर की
आशंका व्यक्त की जा रही है। इस लहर को भी काफी खतरनाक बताया जा रहा है और
आशंका व्यक्त की जा रही है कि तीसरी लहर बच्चों को अधिक प्रभावित करेगी।
केंद्र सरकार ने कोरोना से बचाव के लिए किसी प्रकार की कोई कोर-कसर बाकी
नहीं रखी है। कम समय में कोरोना से बचाव के लिए टीका तैयार कराए गए। बड़ी
संख्या में देश के विभिन्न प्रदेशों में कोरोना टीका देशवासियों को लगवाए
जा रहे हैं, ताकि वे कोरोना के संभावित प्रकोप से बच सकें। हालांकि अभी
भी देश की एक बड़ी आबादी है जिन्हें कम समय में कोरोना टीका देने की
चुनौती बनी हुई है। देशवासी कोरोना महामारी के साथ जीना सीखने की ओर बढ़
चले हैं। जानकारों का कहना है कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद
(आईसीएमआर) ने चौथा राष्ट्रव्यापी सीरो सर्वे कराया है, जिसमें पता चला
है कि देश के हर 3 में से 2 व्यक्ति में कोरोना की एंटीबॉडी बन चुकी है,
लेकिन सबसे बड़ी चिंता यह है कि अभी भी देश में करीब 40 करोड़ लोग ऐसे
हैं जो आसानी से कोरोना वायरस के शिकार बन सकते हैं। तीसरी लहर में
संक्रमण की क्या रफ्तार होगी और इसके प्रभाव क्या होंगे इसके बारे में
अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता। महामारी कम अवश्य हुई है, लेकिन खतरा टला
नहीं है। उनका कहना है कि आईसीएमआर द्वारा गत वर्ष दिसम्बर और इस वर्ष
जनवरी में किए गए तीसरे सीरो सर्वे के अनुसार मात्र 21.4 प्रतिशत आबादी
पॉजिटिव पाई गई थी और दूसरी लहर के आते-आते मार्च माह तक लोगों में
एंटीबॉडी खत्म हो चुकी थी, लेकिन सर्विलांस का विस्तार न हो पाने से
कोरोना का रोद्र रुप अप्रैल और मई माह में देखने को मिला था। जानकारों का
कहना है कि यदि कोरोना की तीसरी लहर आती भी है तो वह दूसरी लहर जितनी
जानलेवा साबित नहीं होगी। देश की करीब 40 करोड़ की आबादी अभी भी कोरोना
वायरस से अछूती है। यदि तीसरी लहर आई तो सबसे अधिक प्रभावित वे लोग होंगे
जो अभी तक संक्रमण से दूर हैं। जानकारों का कहना है कि महामारी से बचने
के लिए यह प्राथमिकता होनी चाहिए कि टीका न लगवाने वालों को जागरुक कर
टीका लगवाया जाए।
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