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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में युवाओं को किसी न किसी रुप में किया जाए सबसे अधिक शामिल

गुडग़ांव, केंद्र सरकार ने गत वर्ष 29 जुलाई को देश के
सभी प्रदेशों के लिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा की थी। इस शिक्षा
नीति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 की जगह ली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी के कार्यकाल में अब तक की यह सबसे बड़ी घटनाओं में से एक है। इस
शिक्षा नीति में आमूल-चूल परिवर्तन प्रस्तावित किया है। शिक्षा के
साथ-साथ भारतीय समाज के पारंपरिक मूल्य संस्कृति व वैश्विक आधुनिकता के
साथ-साथ ज्ञान एवं शिक्षा को जोडऩे की कल्पना भी की गई है। मातृभाषा,
स्थानीय कौशल, लोक विवेक को भारतीय शिक्षा व्यवस्था में शामिल करने की
योजना भी इस नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में है। जानकारों का कहना है कि
युवाओं से भरे एक ऐसे देश को निर्मित करने की शैक्षिक योजना भी दी गई है।
इस शिक्षा नीति से आत्मनिर्भरता व आत्मविश्वास में भी वृद्धि होगी।
वैश्विक स्तर पर देश को ज्ञान एवं शिक्षा के केंद्र के रुप में विकसित
करने की अनेक योजनाएं भी इस नई शिक्षा नीति में है। उनका कहना है कि
शिक्षा मंत्रालय एवं यूजीसी के निर्देशन में विश्वविद्यालयों एवं अनेक
शिक्षण संस्थाओं में इस शिक्षा नीति को लागू करने का काम भी शुरु कर दिया
गया है। हरियाणा प्रदेश में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को वर्ष 2020 तक
लागू करने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहरलाल
ने वर्ष 2025 तक पूरी तरह से प्रदेश में नई शिक्षा नीति लागू करने की बात
भी कही है। इस शिक्षा नीति में भारतीय शिक्षा व्यवस्था में रुपांतरण की
प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। यह रुपांतरण मात्र ढांचे का ही नहीं,
अपितु मूल्यों पर भी आधारित होगा। जानकारों का कहना है कि वैश्विक भारतीय
शिक्षा के निर्माण के लिए स्थितियां निर्मित करने का हमें आधार देती है,
लेकिन इस सब के लिए जरुरी है कि शिक्षकों का एक ऐसी टीम तैयार की जाए जो
इस मिशन को आगे बढ़ा सके। इस सबके लिए जरुरी है कि नए शिक्षकों की
नियुक्तियां भी की जाएं और शिक्षा व्यवस्था में सक्रिय शिक्षकों को इसके
लिए विशेष रुप से प्रशिक्षित भी किया जाए। छात्रों को इस नई शिक्षा नीति
की आत्मा एवं अंतर्वस्तु से परिचित कराने के लिए सरल भाषा में ओरिएंटेशन
प्रोग्राम भी चलाए जाएं तभी यह राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति युवा वर्ग को
अपनी ओर आकर्षित कर सकेगी।

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