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कोरोना महामारी को मात देने के लिए केंद्र सरकार ने गरीबों और मजदूरों केहित में उठाए हैं कई सुदृढ कदम

गुरुग्राम। कोरोना महामारी ने पिछले डेढ वर्षों से पूरे
विश्व को परेशान कर रख दिया है। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है। कोरोना
की पहली लहर से दूसरी लहर अधिक दुखदायी रही। कोरोना काल में जहां कारोबार
प्रभावित हुए और आर्थिक व्यवस्था पटरी से उतर गई, वहीं बड़ी संख्या में
लोगों को अपने रोजगार से हाथ भी धोना पड़ा। केंद्र व प्रदेश सरकारों ने
कोरोना से प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था व समाज के अन्य वर्गों के लिए भी
बहुत कुछ किया, ताकि कोरोना से प्रभावित समाज, श्रमिक, उद्यमी व कर्मचारी
वर्ग भी उबर सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न केवल कोरोना को मात
देने के लिए सुदृढ कदम उठाए, अपितु देश का मनोबल भी गिरने नहीं दिया।
जानकारों का कहना है कि जब लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार
हुए तो मनरेगा का दायरा बढ़ाते हुए उसके बजट में भारी वृद्धि भी की गई,
ताकि गरीबों, मजदूरों को काम मिलता रहे। हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों मे
पूर्व की भांति मनरेगा के लिए काम नहीं निकल रहे हैं। क्योंकि ग्राम
पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो चुका है और नई पंचायतों के अभी चुनाव होने
हैं। उनका कहना है कि कोरोना महामारी में प्रवासी श्रमिकों का पलायन भी
बढ़ा तो उन्हें अपने ही जिले में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए गरीब कल्याण
रोजगार योजना बनाई गई। लॉकडाउन के दौरान जब लोग अपने घरों मे कैद थे तो
इस योजना का उन्हें लाभ पहुंचाया गया। सरकार ने अपने फैसले से यह सिद्ध
कर दिया कि भारत चुनौतियों को टालने में नहीं, अपितु उनका सामना और
उन्हें परास्त करने में यकीन करता है। यह योजना मानव सेवा की सबसे बड़ी
लकीर बनकर उभरी है। इस योजना ने पूरी दुनिया को हैरान कर रख दिया है।
जानकारों का कहना है कि संकट के समय सबसे बड़ी परीक्षा देश का नेतृत्व
करने वाले व्यक्ति की ही होती है। विश्व ने देखा है कि प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी ने किस तरह न केवल गरीब तबके लिए 2 वक्त की रोटी की चिंता
की, अपितु आत्मनिर्भर भारत अभियान के जरिये उनके सशक्तिकरण का बीड़ा भी
उठाया। देश के 80 करोड़ लोगों को 18 माह तक भोजन के लिए मुफ्त अनाज
उपलब्ध कराना अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है। यही नहीं केंद्र सरकार ने
देश में वन नेशन वन राशन कार्ड की व्यवस्था भी लागू की। इसके अलावा सरकार
ने किसानों की आत्मनिर्भरता और उनके सशक्तिकरण के लिए भी कदम उठाया।
स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को भी लागू किया गया। प्रधानमंत्री किसान
निधि के तहत अब तक देश के 10 करोड़ से अधिक किसानों के खाते में 1.36 लाख
करोड़ रुपए से अधिक की राशि भी पहुंचाई जा चुकी है। उनका कहना है कि
किसानों के लिए 3 हजार रुपए मासिक पैंशन की व्यवस्था भी की गई। कोरोना
महामारी से उबारने के लिए केंद्र सरकार ने अपनी शक्ति से अधिक कदम उठाए
हैं और इनका लाभ निचले तबके से लेकर समाज के हर वर्ग को मिला भी है।
गरीबों और मजदूरों का विशेष ध्यान रखा गया है।

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