गुडग़ांव, कोरोना महामारी की तीसरी लहर का अनुमान भी लगाया
जा रहा है। बताया जाता है कि यदि तीसरी लहर में प्रतिदिन एक लाख संक्रमित
मिलते हैं तो इनमे से बच्चों की संख्या करीब 12 हजार होगी। यानि कि बच्चे
इस तीसरी लहर में कोरोना से अधिक पीडि़त हो सकते हैं। हालांकि महामारी की
पहली व दूसरी लहर में देश के विभिन्न प्रदेशों में 20 वर्ष से कम आयु के
12 प्रतिशत मामले अब तक सामने आए हैं। जानकारों का कहना है कि केंद्र
सरकार ने सभी प्रदेश सरकारों को तीसरी लहर की आशंका से वाकिफ करा दिया है
और उनसे आग्रह किया गया है कि सभी सरकारें अपने अस्पतालों में बिस्तर
बढ़ाएं और ऑक्सीजन का पर्याप्त बंदोबस्त भी करें। जानकारों का यह भी कहना
है कि देश में 78 प्रतिशत बालरोग विशेषज्ञों की कमी है और ग्रामीण
क्षेत्रों में तो यह स्थिति और भी अधिक गंभीर है। ग्रामीण क्षेत्रों
स्थित स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों के साथ-साथ स्वास्थ्यकर्मियों
की भी संख्या पूरी नहीं है। जानकारों का कहना है कि अस्पतालों में
सुविधाएं बढ़ाना ही काफी नहीं है। मीडियाकर्मियों की कमी को भी सरकारों
को पूरा करना चाहिए। जानकारों का यह भी कहना है कि यदि कोरोना की तीसरी
लहर में प्रतिदिन 12 हजार बच्चे संक्रमित होते हैं तो इनमें से करीब 600
को भर्ती करने की भी जरुरत पड़ सकती है। इनके लिए सामान्य वार्ड के अलावा
आईसीयू की व्यवस्था भी करनी पड़ेगी। उनका मानना है कि 300 बिस्तरों वाले
या उससे अधिक बिस्तर वाले जिला अस्पतालों मे बच्चों के लिए अलग से वार्ड
होना चाहिए। संक्रमित बच्चे के साथ उसके माता-पिता को भी उसके साथ रहने
की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में जागरुकता की बेहद
जरुरत है। सरकार व जिला प्रशासन को भी इस दिशा में प्रयास करने चाहिए।
उनका कहना है कि प्रत्येक सीएचसी में 4 विशेषज्ञ सर्जन, चिकित्सक,
प्रसूति/स्त्री रोग व एक बालरोग विशेषज्ञ होना जरुरी है, लेकिन प्रदेश की
अधिकांश सीएचसी में इन विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी है। यानि कि कई
स्वीकृत पद काफी दिनों से खाली पड़े हुए हैं, जिनमें से बाल रोग विशेषज्ञ
के पद सबसे अधिक खाली हैं। सरकार को इस संभावित कोरोना की तीसरी लहर से
निपटने के लिए बालरोग विशेषज्ञों की व्यवस्था जिला अस्पतालों से लेकर
सीएचसी तक करनी होगी, तभी इस संभावित कोरोना महामारी की तीसरी लहर से
निपटा जा सकता है। गौरतलब है कि पिछले दिनों पड़ोसी जिला फरीदाबाद में
डेल्टा प्लस वेरिएंट ने भी दस्तक दे दी है। इस सब को ध्यान में रखते हुए
व्यवस्था चाकचौबंद होनी चाहिए। कोरोना की दूसरी लहर में जो प्रदेशवासियों
को विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ा था, उसकी पुनरावृति इस संभावित
लहर में न हो, सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा।
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