गुडग़ांव, शारीरिक रुप से स्वस्थ रहने के लिए प्रकृति ने
बहुत कुछ दिया है। जहां फल आदि प्रकृति की देन हैं, वहीं हरी सब्जियां व
विटामिनों से भरपूर कटहल भी अपना विशेष स्थान रखता है। बागवानी के
जानकारों का कहना है कि कटहल में आयरन, विटामिन ए व सी, थाइमिन,
पोटेशियम, कैल्शियम व जिंक की भरपूर मात्रा होती है। आयरन जहां दिल जैसी
घातक बीमारियों से बचाता है और दिल को मजबूत रखता है, वहीं कटहल एनीमिया
जैसी बीमारियों में भी लाभप्रद है। उनका कहना है कि इसमें फाइबर की
मात्रा काफी अधिक होती है, जो पाचन तंत्र के लिए लाभदायक होती है। फाइबर
आंतों की कोशिकाओं को भी स्वस्थ रखता है। उनका मानना है कि कटहल के सेवन
से जहां हड्डियां मजबूत होती हैं, वहीं कटहल में कैल्शियम की मात्रा भी
काफी अधिक होती है, जो हड्डियों की मजबूती व विकास के लिए बहुत जरुरी है।
उनका यह भी कहना है कि वैज्ञानिकों ने कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचने के
लिए कटहल की उपयोगिता भी बताई है। इससे रोग-प्रतिरोधक क्षमता का भी विकास
होता है। कटहल में पाए जाने वाले विटामिन ए व सी आंखों के लिए फायदेमंद
होते हैं। इसके सेवन से मोतियाबिंद का खतरा भी काफी कम होता है। बागवानी
के जानकारों का कहना है कि कटहल सामान्यत: जून और जुलाई के माह में पके
हुए कटहल के फल से बीज निकालकर मिट्टी में दबा देने से पौधा तैयार हो
जाता है। एक दूसरे पौधे के बीच की दूरी कम से कम 2 मीटर होनी चाहिए। कटहल
के पेड़ की आयु 50 से 60 वर्ष के बीच बताई जाती है। इसका पेड़ 6 से 10
साल में पूरी तरह से तैयार हो जाता है। इसके बाद इसमें फल आने शुरु हो
जाते हैं। पेड़ की ऊंचाई 20 से 30 फुट तक होती है।
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