गुरुग्राम,, कोरोना महामारी ने न केवल शरीर के विभिन्न
अंगों, नसों व फेफडों को ही नहीं, बल्कि ब्लैक फंगस के रुप में आंखों और
दिमाग को भी बुरी तरह से प्रभावित कर रख दिया है। उपचार के साथ-साथ
जागरुकता भी बहुत आवश्यकता है। यह बात युवा नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. सुमित
ग्रोवर ने गीताज्ञानेश्वर डा. स्वामी दिव्यानंद महाराज के सानिध्य में
मंथन आई हैल्थकेयर फाउण्डेशन द्वारा आयोजित नेत्र जांच शिविर में नेत्र
रोगियों की जांच करते हुए कही। उन्होंने शिविर में आए लोगों को ब्लैक
फंगस के प्रति जागरुक करते हुए कहा कि शुगर और बीपी जैसे रोग जहां अन्य
रोगों के कारण हो जाते हैं, इनका प्रभाव आंखों के पर्दे पर भी विशेष रुप
से पड़ता है। काला मोतिया या डायबिटिक रेटिनोपैथी का शिकार लोग जागरुकता
के अभाव में होते जा रहे हैं। यदि समय रहते उपचार न किया जाए तो हालात बद
से बदतर हो जाएंगे और दृष्टिहीनता की संभावना भी ऐसे मरीजों में अधिक बढ़
जाएगी। उनका कहना है कि ब्लैक फंगस को हल्के में नहीं लेना चाहिए। यह
फंगस नाक द्वारा आंखों में और फिर ब्रेन में पहुंच जाता है। डा. स्वामी
दिव्यानंद महाराज ने कहा कि कोरोना के कारण छात्र ऑनलाईन शिक्षा ग्रहण कर
रहे हैं। ऑनलाईन शिक्षा ने बच्चों की आउटडोर एक्टिविटी भी घटा दी है और
घर बैठे टीवी स्क्रीन का समय भी बढ़ा दिया है, जिससे बच्चों की आंखों में
मायोपिया बढ़ता जा रहा है। अभिभावकों को भी ध्यान रखना होगा कि उनके
बच्चे लैपटॉप व मोबाइल पर अधिक समय न बिताएं, इसके दुष्परिणाम हो सकते
हैं। शिविर में सरकार द्वारा कोरोना से बचाव के लिए जारी दिशा-निर्देशों
का पूरी तरह से पालन किया गया। आयोजन को सफल बनाने में संस्था से जुड़े
अनूप अग्रवाल व सदस्यों का सहयोग रहा।
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