गुडग़ांव, कोरोना महामारी से जहां पूरा विश्व जूझ रहा है,
वहीं भारत देश भी इससे अछूता नहीं रहा है। कोरोना को नियंत्रित करने के
लिए देश की केंद्र सरकार व राज्य सरकारें जुटी हुई हैं। केंद्र सरकार ने
कोरोना महामारी से निपटने के लिए 35 हजार करोड़ का बजट भी पारित किया हुआ
है, लेकिन महामारी के दौरान इस बजट का इस्तेमाल होता दिखाई नहीं दे रहा
है। केंद्र सरकार कोरोना से बचाव के लिए प्रदेश सरकारों को आदेश दे रही
है कि वे टीका की व्यवस्था करें। सरकार को इसके लिए प्रदेश सरकारों को
अनुदान भी देना चाहिए। उक्त बात भ्रष्टाचार उन्मूलन में जुटी सामाजिक
संस्था क्राईम रिफार्मर एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. संदीप कटारिया ने कही
है। उन्होनें केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि बजट की जानकारी दी जाए।
उनका कहना है कि भारतीय वैज्ञानिक टीका बनाने में जुटे हैं। सरकार को
उनकी पूरी मदद करनी चाहिए, ताकि टीका बहुतायत मात्रा में बन सके और उसका
लाभ देशवासियों को मिल सके। उनका कहना है कि प्रदेश सरकारें लोगों के
स्वास्थ्य के लिए 30 प्रतिशत खर्च कर रही हैं। केंद्र सरकार टीकाकरण को
टीका उत्सव के रुप में देख रही है। प्रश्र यह है कि क्या हमारे देश में
इतनी बड़ी संख्या में टीकाकरण हुआ है, जिसे टीकाकरण उत्सव का नाम दे दिया
जाए। बाबा रामदेव के एलोपैथिक पर उठाए जा रहे सवाल पर भी उनका कहना है कि
यह विवाद जल्दी ही समाप्त किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार को इसमें
हस्तक्षेप कर मामले का निपटारा करना चाहिए। कोरोना काल में इस प्रकार के
आरोप प्रत्यारोप अच्छे नहीं होते। एलोपैथी पद्धति के द्वारा ही अधिकांश
बीमारियों का उपचार किया जाता रहा है। आयुर्वेद पद्धति भी कोई बुरी नहीं
है, यह हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति है।
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