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चैक बाउंस के मामले में आरोपी को 2 साल की सजा

गुरुग्राम, अढाई करोड़ रुपए के चैक बाउंस के मामले की
सुनवाई करते हुए ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट पुनीत लिम्बा की अदालत ने पुख्ता
सबूतों व गवाहों के आधार पर आरोपी को दोषी मानते हुए 2 साल की कैद व 3
करोड़ रुपए 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से पीडि़ता को देने के आदेश
दिए हैं। पीडि़ता मीनू शर्मा की अधिवक्ता डा. अंजूरावत नेगी से प्राप्त
जानकारी के अनुसार शिकायतकर्ता मीनू शर्मा के पति स्व. विनोद शर्मा से
अक्तूबर 2012 में देवेंद्र लाकरा ने अढ़ाई करोड़ रुपए उधार लिए थे और
अढ़ाई करोड़ रुपए के 2 चैक भी दिए थे। जब विनोद शर्मा ने इन चैकों को
बैंक में डाला तो खाते में पर्याप्त धनराशि न होने के कारण चैक बाउंस हो
गए। विनोद शर्मा को पता चला कि देवेंद्र लाकरा ने उसके साथ ठगी कर ली है।
जिस पर विनोद शर्मा ने देवेंद्र को कोर्ट नोटिस भिजवाया और चैक बाउंस का
मुकदमा अदालत में दायर कर दिया। अधिवक्ता का कहना है कि अदालत द्वारा
जमानती वारंट जारी करने पर देवेंद्र अदालत में पेश हुआ और वर्ष 2013 की
10 दिसम्बर को देवेंद्र लाकरा ने चैक की जिम्मेदारी मानते हुए स्वीकार
किया कि वह विनोद शर्मा के पैसे लौटा देगा, लेकिन फिर भी उसने पैसे नहीं
लौटाए। वर्ष 2014 की 5 मार्च को पुन: देवेंद्र लाकरा ने चैक की देनदारी
मानी और कहा कि वह अपनी दीदारपुर की संपत्ति शिकायतकर्ता के नाम कर देगा,
लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अदालत ने 17 जुलाई को देवेंद्र को भगौड़ा घोषित कर
दिया था। विनोद शर्मा मानसिक तनाव से गुजर रहा था, जिस पर उसने वर्ष 2018
की 4 जुलाई को खुद पर गोली चला ली थी और 7 जुलाई को उपचार के दौरान उसकी
मौंत हो गई थी। विनोद शर्मा ने मरने से पूर्व शपथ पत्र और घोषणा पत्र में
लिखा था कि देवेंद्र लाकरा की वजह से पिछले 6 साल से वह परेशान है और
उसने उसे ठग लिया है। जिस पर उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई थी। डा.
नेगी का कहना है कि विनोद शर्मा की मृत्यु के उपरांत उनकी पत्नी मीनू
शर्मा ने विषम परिस्थितियों के चलते इस मुकदमे का सामनाा किया। देवेंद्र
लाकरा पिछले 14 महीनों से जिला जेल में बंद है। मामला अदालत में चला।
अदालत में पुख्ता सबूत व गवाह पेश किए, जिस पर अदालत ने गत 26 फरवरी को
आरोपी को दोषी मानते हुए उसकी सजा पर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जो
अदालत ने बुधवार को सुना दिया। अधिवक्ता का कहना है कि अदालत ने दोषी को
आदेश दिए हैं कि 3 करोड़ की धनराशि पर अक्तूबर 2012 से 6 प्रतिशत सालाना
ब्याज का भुगतान पीडि़ता को किया जाए।

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