गुरुग्राम, देश की सभ्यता व संस्कृति का प्रचार-प्रसार
करने में जुटी हरियाणा कला परिषद द्वारा आयोजित साप्ताहिक ऑनलाईन संध्या
कार्यक्रम में प्रदेश के प्रसिद्ध सांगी विष्णु पहलवान द्वारा पंडित
मांगेराम द्वारा लिखित सांग वीर विक्रमाजीत प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम
का संचालन परिषद के मीडिया प्रभारी विकास शर्मा ने किया। परिषद के निदेशक
संजय भसीन ने कहा कि लोक कलाकार प्रदेश की संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने
में पूरा परिश्रम करते हैं। प्रदेश की लोक कला के संरक्षण एवं संवर्धन के
लिए प्रदेशवासियों को निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए तथा लोक कलाकारों को
सहयोग देते हुए आने वाली पीढ़ी के लिए प्राचीन संस्कृति को संभाल कर रखा
जा सके। सांग मंचन में कलाकारों ने दिखाया कि राजा विक्रमाजीत उज्जैन में
राज करते हैं और उनके राज्य में देवलोक से परमहंस पहुंच जाते हैं। परमहंस
राजा को बताते हैं कि उनकी हंसिनी को इंद्रदेव ने कैद कर लिया है और
उन्हें 12 वर्षों के लिए देव लोक से निकाल दिया है। राजा विक्रमाजीत
हंसिनी को इंद्र की कैद से छुड़ाने के लिए निकल पड़ते हैं, जहां उनकी
मुलाकात रानी रत्नाकौर से होती है। रानी रत्नाकौर एक गंभीर बीमारी से
ग्रस्त होती हैं। रानी रत्नकौर के पिता घोषणा करवाते हैं कि जो भी
व्यक्ति रत्नकौर की बीमारी को दूर करेगा, उसके साथ रत्नकौर का विवाह कर
दिया जाएगा। राजा विक्रमाजीत रानी रत्नकौर की बीमारी का इलाज ढूंढ लेते
हैं और उसे बिमारीमुक्त कर देते हैं और उनका विवाह रत्नाकौर से हो जाता
है। इन प्रसंगों का कलाकारों ने बड़ी ही खूबी से प्रदर्शन भी किया। सांग
में हरियाणवी संस्कृति की झलक दिखाते हुए कलाकारों ने नारी की महत्ता का
मंचन किया। इस मंचन में कलाकारों बलदेवराज, राजेश कुमार, पवन कुमार,
शीशपाल, बलवीर, विक्रम, पालेराम, रमेश कुमार, काला तथा कृष्ण कुमार आदि
का पूरा सहयोग रहा।
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