गुरुग्राम।, प्रदेश सरकार ने वर्ष 2020 में शहरवासियों के लिए कई सुविधाओं की घोषणा की थी। गुरुग्राम मेट्रो पॉलिटियन डवलपमेंट अथॉरिटी (जीएमडीए) और नगर निगम ने शहरवासियों को ये सुविधाएं देने के लिए काफी कुछ किया। वर्ष 2020 नागरिक सुविधाओं के लिए जाना जाएगा। नगर
निगम व जीएमडीए के प्रयासों से शहर के विभिन्न क्षेत्रों में पेयजल
आपूर्ति पहले से बेहतर हो गई। नहीं तो शहरवासी पेयजल की किल्लत को लेकर
सदैव सडक़ों पर उतरते रहते थे। शहर के विभिन्न क्षेत्रों में नए बूस्टिंग
स्टेशन व वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कार्य भी युद्ध स्तर पर शुरु
किया गया। जीएमडीए व नगर निगम का यही प्रयास रहा कि नहरी पानी को पेयजल
के रुप में शहर के हर क्षेत्र में उपलब्ध कराया जाए। हालांकि शहर के कुछ
क्षेत्रों में आज भी पेयजल आपूर्ति का लाभ शहरवासियों को नहीं मिल पा रहा
है। जीएमडीए व नगर निगम को इस दिशा में और अधिक प्रयास करने होंगे। शहर
से लगते ग्रामीण क्षेत्रों में भी पेयजल उपलब्ध कराने के लिए दोनों
विभागों ने कमर कसी हुई है। शहर के अधिकांश क्षेत्रों में आज भी अवैध रुप
से पेयजल आपूर्ति की जा रही है। कई कालोनियों में अवैध रुप से पानी के
कनेक्शन बड़ी संख्या में लोगों ने लिए हुए हैं। एक-एक मकान में 4-4 पानी
के कनेक्शन हैं, जोकि पूरी तरह से अवैध हैं। नगर निगम व जीएमडीए को इस ओर
कदम उठाने होंगे, ताकि जहां पानी की बर्बादी को रोका जा सके, वहीं राजस्व
की प्राप्ति भी नगर निगम व जीएमडीए को हो सके।
सडक़ें अभी भी हैं जर्जरावस्था में
नगर निगम क्षेत्र के पुराने शहर की सडक़ों की हालत वर्ष 2020 में भी खराब
ही रही। हालांकि प्रदेश सरकार ने नगर निगम व जीएमडीए को आदेश दिए थे कि
निश्चित समय में सडक़ों की मरम्मत का कार्य पूरा करा लिया जाए, लेकिन ऐसा
हुआ नहीं। न्यू रेलवे रोड स्थित भीम नगर चौक पर सडक़ कई माह से खुदी पड़ी
है, लेकिन सडक़ मरम्मत का कार्य आज तक भी पूरा नहीं हो सका है।
क्षेत्रवासी इस जर्जर सडक़ को बनाने की मांग करते रहे हैं। हालांकि नगर
निगम के सभी वार्डों में विकास कार्य क्षेत्र के पार्षद कराने में जुटे
हैं। नगर निगम के पास करोड़ों का बजट है, लेकिन इच्छाशक्ति के अभाव में
नगर निगम के अधिकारी इस बजट को पूरा खर्च ही नहीं कर पाते और यह बजट
वित्त वर्ष के 31 मार्च को लैप्स हो जाता है। नगर निगम की दरियादिली देखी
जाए तो नगर निगम गुडग़ांव ने नगर निगम फरीदाबाद को पिछले कई वर्ष पूर्व
100 करोड़ से अधिक रुपए उधार दिए थे, लेकिन यह उधार आज तक भी नगर निगम
में वापिस नहीं आया है। यदि ये उधार के करोड़ों रुपए नगर निगम में आ जाते
तो शहर का और अधिक अच्छा विकास होता, लेकिन निगम के अधिकारियों का ध्यान
इस ओर जाता ही नहीं।
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