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सावन माह में मिथिलावासी नवविवाहित महिलाएं लगी हैं भगवान शिव को प्रसन्न करने में

गुडग़ांव, सावन माह धार्मिक पर्वों का महत्वपूर्ण माह
माना जाता है। अनेक पर्व शिवरात्रि, हरियाली तीज, नाग पंचमी व रक्षाबंधन
आदि पर्व भी सावन माह में ही आते हैं। मिथिला क्षेत्र की नवविवाहित
महिलाएं मधु श्रावणी का पर्व भी सावन माह में ही मनाती हैं। यह पर्व करीब
एक पखवाड़े तक नियमित रुप से मनाया जाता है। साईबर सिटी में भी आजकल मधु
श्रावणी पर्व का आयोजन किया जा रहा है। साईबर सिटी में मिथिलावासी बड़ी
संख्या में निवास करते हैं। नवविवाहित महिलाएं नए कपड़ों और आभूषणों से
सुसज्जित होकर मैथिली गीतों से भगवान शिव को प्रसन्न करने के प्रयासों
में जुटी हैं। मिथिलावासियों का कहना है कि महिलाएं प्रतिदिन सावन माह
में प्रतिदिन श्रृंगार से सुसज्जित होकर इस पर्व को मनाती आ रही हैं।
घरों में उत्सव जैसा माहौल है। उनका कहना है कि पूजा के अंतिम दिन पति का
पूजन में शामिल होना जरुरी होता है। विवाह की तरह नवविवाहिता की मांग में
पति सिंदूर भरता है। यह परंपरा काफी प्राचीन काल से चली आ रही है।
महिलाएं प्रतिदिन भगवान शिव व पार्वती की कथा भी सुनती हैं और उनकी
विधि-विधान के अनुसार पूजा-अर्चना भी कर रही हैं। नाग-नागिन, हाथी व
गौरी-शिव आदि की प्रतिमा बनाकर विभिन्न प्रकार के फूलों, मिठाईयों और
फलों से इन प्रतिमाओं का पूजन भी किया जाता है। प्रात: नाग देवता को
दूध-लावा का भोग लगाया जाता है। फूलों की टोकरी सजाए जाने के दौरान
नवविवाहिताएं मैथिली गीत भी गुनगुनाती हैं। इस पूजा के दौरान
नवविवाहिताएं नमक का सेवन बिलकुल भी नहीं करती। वे केवल दूध, घी, फल आदि
का सेवन करती हैं और उनके खाने का सामान भी ससुराल पक्ष से ही आता है।

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