गुडग़ांव, मेवात से हिंदू समुदाय के पलायन की घटनाएं आए
दिन घटित हो रही हैं। यह समुदाय मेवात में अल्पसंख्यक बनकर रह गया है।
अन्य समुदाय की जनसंख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। यदि यही हाल रहा
तो मेवात में हिंदू समुदाय की संख्या एक प्रकार से समाप्त ही हो जाएगी।
इस समुदाय को संगठित होकर इस प्रकार की घटनाओं का सामना करना चाहिए। यह
कहना है अखिल भारतीय संत परिषद के राष्ट्रीय संयोजक यति नरसिहानंद
सरस्वती का। जो उन्होने ऑनलाइन समुदाय के लोगों से बात करते हुए कही।
उनका कहना है कि भारतीय संविधान के अनुसार देश एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र
है। सभी समुदायों को देश में रहने और धार्मिक अनुष्ठान आदि की भी पूरी
स्वतंत्रता दी गई है। उनका आरोप है कि कुछ समुदाय हिंदू समुदाय को बर्बाद
करने पर तुले हैं। वीर सावरकर और डा. भीमराव अंबेडकर भी देश का बंटवारा
धर्म के आधार पर करवाना चाहते थे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। उनका कहना है कि
हिंदू समुदाय संगठित नहीं है। वे पूजा-अर्चना में ही व्यस्त रहते हैं,
पाखंड का जोर बढ़ता जा रहा है। अधिकांश साधु-संत भी पाखंड के रंग में
रंगे दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने प्रदेश सरकार से भी आग्रह किया है कि
मेवात में जो हो रहा है वह अन्य समुदायों के साथ भी होगा। दलित भी वहां
पर परेशान हैं। हर समुदाय राजनीति करने में जुटा है। उन्होंने सरकार से
आग्रह किया है कि इन घटनाओं पर रोक लगाई जाए ताकि हर समुदाय मेवात में
सुकून की जिंदगी जी सके।
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