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परमात्मा ने मानव के मूल्य का आंकलन किया है मानवता व धर्म-अधर्म के आधार पर : स्वामी दिव्यानंद महाराज

गुडग़ांव, मानव का मूल्य ईश्वर ने मानवता की कसौटी व
धर्म-अधर्म के आधार पर किया है। यदि मानव इस कसौटी पर खरा नहीं उतरता या
फिर इंसानियत की परिभाषा ही अपने आधुनिक ढंग से कर उसी के अनुसार जीवन
जीता है तो यह धोखा ही होगा। यह कहना है गीताज्ञानेश्वर डा. स्वामी
दिव्यानंद महाराज का। उनका कहना है कि कुछ ऐसा ही आज धर्म, मानवता,
भक्ति-पूजा जैसे महत्वपूर्ण शब्दों के साथ भी हो रहा है। धर्म और मानवता
का पाठ पढक़र मानव को विवेक और विश्वास की दृष्टि लेनी थी, इसे गलत और सही
देखना मानव को आना चाहिए था ताकि मानव भटक न सके, किंतु ऐसा हुआ नहीं।
महाराज जी का कहना है कि मानव ने विवाह जैसे पवित्र बंधन के लिए पवित्र
मुहूर्त तो निकलवाने प्रारंभ कर दिए, लेकिन विवाह में फिजूल के खर्चे व
कार्य करने बंद नहीं किए। उनका कहना है कि भगवान श्रीकृष्ण ने भी गीता
में इंसान को कर्म करने का संदेश दिया है, लेकिन कितने लोग इस संदेश का
पालन कर रहे हैं, इसका स्वत: ही अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने देश
में व्याप्त कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप से लोगों को बचाने के लिए
सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करने का आग्रह भी आमजन से किया
है।

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