गुडग़ांव,
वैश्विक कोरेाना वायरस के प्रकोप से
जिलेवासियों को बचाने के लिए लॉकडाउन चल रहा है। दूसरे
चरण के लॉकडाउन के
8वें दिन भी शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों की सडक़ें तथा
राष्ट्रीय राजमार्ग
सुनसान ही दिखाई दिया। हालांकि जिला प्रशासन लॉकडाउन
का पालन कराने के
प्रति पूरी तरह से गंभीर है, लेकिन अभी भी कुछ लापरवाह
लोग मटरगस्ती करने
के लिए सडक़ों पर घूमते दिखाई दे रहे हैं जिनसे पुलिसकर्मी
सख्ती से निपट
भी रहे हैं। कुछ प्रतिष्ठानों को लॉकडाउन में राहत
देने का मामला अभी भी
खटाई में पड़ा हुआ है। जिला प्रशासन इन प्रतिष्ठानों
को छूट तो देना
चाहता है, लेकिन सुरक्षा को ताक पर रखकर नहीं। प्रशासन
पहले ही स्पष्ट कर
चुका है कि उद्योग चलाने के लिए श्रमिकों तथा कर्मियों
की सुरक्षा
प्रशासन की प्राथमिकता है। लॉकडाउन की अवधि का वेतन
श्रमिकों को भुगतान
करने में उद्यमी असमर्थता प्रकट कर रहे हैं। इस संबंध
में वे जिला
प्रशासन व प्रदेश सरकार को भी ज्ञापन के माध्यम से
अवगत करा चुके हैं।
इसको लेकर भी श्रमिक संगठनों में रोष व्याप्त होता
जा रहा है। यानि कि
औद्योगिक संगठनों व ट्रेड यूनियनों में खंीचतान शुरु
हो गई है, जोकि
प्रदेश हित में नहीं है। श्रमिक संगठनों का कहना है
कि प्रतिष्ठानों के
संचालकों को सरकार के आदेशों का पालन करना चाहिए, जिसमें
सरकार ने स्पष्ट
घोषणा की हुई है कि लॉकडाउन की अवधि का पूरा वेतन प्रतिष्ठान
श्रमिकों को
देंगे। उधर उद्यमी सरकार से आर्थिक पैकेज की मांग भी
कर रहे हैं। उनका
कहना है कि लॉकडाउन की अवधि का वेतन सरकार ईएसआईसी,
पीएफ संगठन, लेबर
वेलफेयर फंड व आर्थिक पैकेज द्वारा उपलब्ध कराए, ताकि
उन्हें वेतन दिया
जा सके। लॉकडाउन के दौरान शहरी क्षेत्र सहित ग्रामीण
क्षेत्रों में भी
शराब की अवैध बिक्री किए जाने की सूचना भी आ रही है।
हालांकि प्रदेश
सरकार ने मार्च के अंतिम सप्ताह से ही प्रदेश में सभी
शराब के ठेके बंद
किए हुए हैं। जिला पुलिस भी शराब का अवैध कारोबार करने
वालों के साथ
सख्ती से निपट रही है। शराब लोगों को जिन स्त्रोतों
से उपलब्ध हो रही है,
यह भी एक रहस्य बना हुआ है। जिला प्रशासन को इस ओर
विशेष ध्यान देना
चाहिए, ताकि लॉकडाउन के दौरान लोग नकली शराब का सेवन
कर प्रदेश के सामने
कोई और मुसीबत खड़ा न कर दे।
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