गुडग़ांव, वैश्विक कोरोना वायरस से बचाव के लिए लॉकडाउन
की घोषणा की हुई है। सभी लोग अपने घरों में रहकर ही कोरोना से बचाव का
प्रयास कर रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान सभी विभागों के अधिकारी व कर्मी भी
अपनी सेवाएं दे रहे हैं। हालांकि दिहाड़ीदार मजदूरों व जरुरतमंदों की
सहायता जिला प्रशासन यथासंभव कर भी रहा है। श्रमिकों का प्रतिनिधित्व
करने वाले संगठन सीटू का मानना है कि दिहाड़ीदार व जरुरतमंदों को
पर्याप्त सहायता नहीं दी जा रही है, जिससे उनमें रोष व्याप्त होता जा रहा
है। सीटू की प्रदेशाध्यक्ष सुरेखा, महासचिव जयभगवान व कोषाध्यक्ष विनोद
कुमार का कहना है कि श्रमिकों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल रही हैं,
जिसको लेकर सीटू लॉकडाउन के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए आगामी 21
अप्रैल को दोपहर 12 बजे 10 मिनट के लिए घरों व कार्य स्थलों पर खाली
बर्तन बजाकर सरकार से मांग करेंगे कि इन मजदूरों को सूखा राशन व साढ़े 7
हजार रुपए प्रति मजदूर नगद राशि का हस्तानांतरण किया जाए। इसी मांग को
लेकर आज 18 अप्रैल को प्रदेश की सभी आशा वर्कर्स, आंगनवाड़ी वर्कर्स एवं
हैल्पर्स, स्वास्थ्य ठेका कर्मचारी, ग्रामीण सफाईकर्मचारी आदि भी सुरक्षा
उपकरणों की उपलब्धता व सामाजिक सुरक्षा के मुद्दों को लेकर काली पट्टी
बांधकर लॉकडाउन में अपनी ड्यूटी देंगे। उनका कहना है कि अपनी जान की
परवाह न करते हुए ये सभी वर्कर्स कोरोना वायरस के चलते अपनी डयूटी दे रहे
हैं, लेकिन इनके लिए बीमा कवरेज व डबल वेतन की घोषणा सरकार द्वारा नहीं
की गई है। उनका कहना है कि मजदूरों को भाषण नहीं राशन चाहिए
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